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पर्यटन विशेष : मनियारी (राजीव गान्धी)जलाशय खुडिया
प्रस्तुतकर्ता : न्यूजलाइन नेटवर्क, छत्तीसगढ़ ,8120032834
लेखक : डाक्टर सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज, शिक्षाविद, साहित्यकार, कथावाचक कौशिल्या सदन सारधा लोरमी जिला मुंगेली छत्तीसगढ
विश्व की प्राचीनतम सभ्यताए बहुधा नदियो के किनारे ही बसे विकसित हुए है।इसी परम्परा मे मनियारी के तट पर मुंगेली जिले की सबसे बड़ी तहसील लोरमी ,बिलासपुर जिले का तखतपुर तहसील का नगरीय व ग्रामीण भाग निवासरत है।जिसमे लोरमी के शिवघाट मे जहा नर्मदा जी और मनियारी का संगम तथा हजारो वर्ष पुराने स्वयमभू शिवलिंग विराजमान है।जिनके प्रति सम्पूर्ण जिले की आस्था है।इसी स्थल शिवघाट मे प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि को भव्य व दिव्य मेले का आयोजन होता है।इसी के तट पर पहाड़ पर विराजित मा महामाया का मंदिर है।इस शक्तिपीठ मे जहा चारो नवरात्र मे अनेक मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किए जाते है वही बारह महीने दर्शनार्थी श्रद्धालुओ का आना जाना लगा रहता है।थोड़ी दूर जाने पर मनियारी के तट पर ही बिचारपुर मे सिद्धबाबा एवं उसी से बिचारपुर मे ही नित्य प्रति बढने वाले प्रसिद्ध हनुमान जी का मंदिर है।तखतपुर विकास खंड मे मुरू के आगे भूलकहा और उसी के आगे विश्व प्रसिद्ध देवरानी जेठानी मंदिर भगवान रूद का मंदिर ताला मे विराजमान है जहां प्रतिवर्ष छत्तीसगढ शासन द्वारा ताला महोत्सव का आयोजन किया जाता है।मेरे द्वारा भी इस ताला महोत्सव मे श्रीमद्भागवत की कथा का वाचन किया जा चूका है।ऐसी प्रसिद्ध नदी मनियारी का उद्गम मुंगेली जिले के लोरमी तहसील के अंतर्गत मैकल शृंखला अचानकमार अभ्यारण्य के मध्य 'सिहावल 'नामक तालाब के पीपल के वृक्ष से हुई है।आगर, छोटी नर्मदा,व घोघा इसकी सहायक नदिया है।इस नदी मुंगेली जिले की जीवनदायिनी गंगा होने का गौरव प्राप्त है।इसकी कुल लम्बाई 134किलोमीटर है।इसे अमरकंटक वाली नर्मदानदी के पुत्री होने का वैभव भी प्राप्त है ,इसी कारण नर्मदा नदी मनियारी से शिवघाट मे,छोटी नर्मदा के रूप मे,भूलकहा मुरू के पास मिलकर अपना आशीर्वाद प्रदान करती रहती है।इस नदी के बारे मे एक किवदंती भी है कि मनियारी सात भाईयो की इकलौती बहन थी।इसी स्नेह के दामाद जी को भाईयो ने अपने साथ ही रखा।एक दिन मनियारी के पति और सभी भाई खेत पर कृषि कार्य कर रहे थे।अचानक अतिवृष्टि से खेत की क्यारी बंध ही नही पा रही थी।अंततोगत्वा मनियारी के पति को ही भाईयो द्वारा पार मे पाट दिया गया।मनियारी जब घर से भोजन लेकर खेत पहुंचकर भाईयो से अपने पति का हालचाल पूछी। संतोषजनक उत्तर प्राप्त न होने पर खेत मे ही बैठकर महासती मनियारी अपने पति को आवाज लगाई।बार-बार आवाज लगाने पर मृतक पति का हाथ उसी खेत के पार मे दिखाई दिया वह तत्काल खेत मे ही कूदकर पति के हाथो का स्पर्श करती हुई नदी की धारा के रूप मे प्रकट हो गयी।मनियारी अपने उद्गम स्थल से प्रवाहित होती लोरमी शिवघाट व तखतपुर मे मुरू से आगे भूलकहा मे नर्मदा नदी की धारा से आशीर्वाद प्राप्त करती हुई ताला से आगे शिवनाथ नदी मे समाहित होकर महानदी से एकाकार होते हुए समुद्र मे विलीन हो जाती है।
एक नदी के रूप मे हमने मनियारी की यात्रा वृत्तांत का अध्ययन किया। अब हम इसके जलाशय के रूप मे की गई सेवा व यात्रा पर वर्णन करने का प्रयास करते है।लोरमी से करीब इक्कीस किलोमीटर की दूरी पश्चिमोत्तर मनियारी नदी (राजीव गान्धी जलाशय)मनियारी जलाशय खुडिया के रूप मे प्रसिद्ध है।यहा प्रदेश के लाखो पर्यटक पर्यटन और नौका विहार हेतु यहा आते जाते रहते है।इस जलाशय का जल संग्रहण छेत्र 854वर्गकिलोमीटर, जलस्त्रोत छेत्र 2525वर्ग किलोमीटर, लम्बाई 2095-90मीटर,तथा उचाई 28-96मीटर है।बान्ध की सिचाई छमता 40405हेक्टेयर,सिन्चित रकबा 44000हेक्टेयर है।नहरो की कुल लम्बाई 504-70किलोमीटर है।शीर्ष बहाव38-80मीटर तथा रूपांकित बहाव945-43घन मीटर है।उक्त जलाशय का निर्माण सन्1924से प्रारंभ होकर सन 1930मे सम्पन्न हुआ।इस बान्ध से 327गावो के 66हजार 447कृषक लाभान्वित होते है तथा 51हजार970हेक्टेयर मे सिचाई सुविधा उपलब्ध है।इसके नहर के तट पर प्रसिद्ध माता भुवनेश्वरी मंदिर डोंगरीगढ, माता कल्याणी मंदिर बाबाडोगरी,शिवमंदिर अखरार, मा अष्टभुजी दुर्गा मंदिर सारधा,शनिमंदिर सारधा,मुनिबाबा मंदिर सेमरसल प्रमुख है जहा प्रतिवर्ष लाखो श्रद्धालु दर्शन प्राप्त कर आध्यात्म व पर्यटन का लाभ लेते है।