स्टेट हेड मनोज कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश
जिला मैनपुरी तहसील क्षेत्र भोगांव के निवासी गणित शिक्षक रत्नेश कुमार अपनी गणितीय खोज के लिए जाने जाते हैं। सर्वप्रथम रत्नेश कुमार ने 2011 में विभाज्यता के महासूत्र एवं दशक नियम की खोज की। 2017 में विभाज्यता के तीव्रतम महासूत्र की खोज की। और 2019 में संख्या बटे शून्य के मान की गणना की। भारत सरकार दे चुकी है कापीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेटभारत सरकार ने इनके उपर्युक्त तीनों गणितीय लेखों पर कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदान किया है जो कि विश्व के 177 देशों में वैद्य है।
गणितीय सूत्रों का प्रदर्शन
रत्नेश कुमार हिमाचल प्रदेश की चितकारा यूनिवर्सिटी तथा सीमैट प्रयागराज सहित प्रदेश के लगभग 100 से अधिक इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में अपने सूत्रों का प्रदर्शन कर लोहा मनवा चुके हैं।
विश्व की गणितीय किताबों में बदलाव का दावा
विभाज्यता के महासूत्रों के खोजक रत्नेश कुमार ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ ऐसी गणनाएं कर ली है जिससे सबसे छोटी संख्याओं के संबंध में विश्व की किताबों में सदियों से चली आ रही गणनाएं गलत सिद्ध होगी। और इन किताबों में बदलाव करना पड़ेगा।अभी तक विश्व की प्रारंभिक गणित की किताबों में यह बताया जा रहा है कि यदि दिए गए अंको से सबसे छोटी संख्या बनानी हो और दिए गए अंकों में शून्य भी हो तो शून्य को सबसे बायीं और नहीं लिखते हैं तथा शून्य को सबसे छोटे अंक के बाद दूसरे नंबर पर लिखते हैं और उसके बाद में अन्य संख्याओं को बढ़ते हुए क्रम में लिखते हैं। इस व्याख्या के अनुसार 0,1,2 अंको से बनने वाली तीन अंको की सबसे छोटी संख्या 102 होगी। इसी प्रकार 0,1,2,3 अंको से बनने वाली चार अंको की सबसे छोटी संख्या 1023 होगी। जबकि उक्त तथ्य का खंडन करते हुए रत्नेश कुमार की नई पुस्तक सबसे छोटी संख्याएं लिखने की रत्नेश के तर्क के अनुसार 0,1,2 अंको से बनने वाली तीन अंको की सबसे छोटी संख्या 012 होगी।, और 0,1,2,3 अंको से बनने वाली चार अंको की सबसे छोटी संख्या 0123 होगी।
इसी प्रकार अन्य उदाहरण भी लिखे जा सकते हैं।
व्हाट्सएप मेटा एआई के अनुसार रत्नेश कुमार की गणना तार्किक और स्पष्ट है तथा इस नई गणितीय खोज को यदि गणितज्ञ मान्यता प्रदान करते हैं तो गणित में एक नए युग की शुरुआत हो जाएगी और विश्व की सभी प्रारंभिक गणितीय किताबों में बदलाव करना पड़ेगा और रत्नेश कुमार की इस नई खोज को गणित में एक विशेष योगदान के रूप में याद रखा जाएगा
सबसे छोटी संख्या लिखने के तर्कों का प्रदर्शन
रत्नेश कुमार अपनी इस नई खोज का प्रदर्शन डाइट भोगांव मैनपुरी में शिक्षकों के समक्ष भी कर चुकें हैं। तथा कई विद्वान शिक्षकों से इस नई गणना की चर्चा भी कर चुके हैं। इन शिक्षकों ने रत्नेश कुमार की नई गणनाओं को तार्किक, स्पष्ट, महत्वपूर्ण और उपयोगी बताया गणित शिक्षकों के अनुसार रत्नेश की इस नई गणना से गणित बहुत ही सरल हो जाएगा। और बच्चों को दिए गए अंको से बनने वाली छोटी संख्याएं लिखना बहुत आसान लगने लगेगा।
रत्नेश की सबसे छोटी संख्याएं लिखने की नई अवधारणाओं पर गणित शिक्षकों के विचार
कम्पोजिट विद्यालय जगतपुर , सुल्तानगंज के विद्वान गणित शिक्षक फूलसिंह राजपूत के अनुसार रत्नेश के सबसे छोटी संख्याएं लिखने के तर्कों पर मैंने गंभीरता पूर्वक चर्चा की है। और रत्नेश की इस नई क्रांतिकारी धारणा को बहुत ही तार्किक, सटीक और सरल पाया है। इस सरल संकल्पना को एक दिन पूरा विश्व स्वीकार करेगा।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय इसई महलोए, कुरावली के गणित के अनुभवी शिक्षक अनिल कुमार ने बताया कि रत्नेश कुमार द्वारा प्रस्तुत किए गए सबसे छोटी संख्याओं को लिखने के तर्क सही और स्पष्ट है इन्हें यदि लागू कर दिया जाए तो शिक्षकों और छात्रों के हित में होगा।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सोनई कुरावली के अनुभवी गणित शिक्षक राकेश कुमार के अनुसार रत्नेश कुमार का कांसेप्ट सरल और अच्छा है इसे यदि गणित के प्रारंभिक पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर लिया जाए तो शिक्षकों को समझाने में और छात्रों को समझने में बहुत सहायता मिलेगी ।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय घिरोर की गणित शिक्षिका आकांक्षा के अनुसार रत्नेश सर की सबसे छोटी संख्या लिखने की धारणा बहुत ही लोजिकल और गणित को सरल बनाने वाली है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सुल्तानगंज की गणित शिक्षिका प्रीति के अनुसार रत्नेश सर की नई अवधारणा बहुत ही तर्कसंगत और सही है इससे बच्चों को गणित समझने में बहुत आसानी होगी।