कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की साजिश का खुलासा हुआ है, जिसके बाद कई और चौंकाने वाली घटनाएँ सामने आई हैं। यह साजिश केवल एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि पिछले एक हफ्ते के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में चार बार ट्रेनों को पटरी से उतारने की कोशिश की गई है। इसके अलावा, पिछले 23 दिनों में कानपुर और उसके आसपास की जगहों में तीन बार ट्रेनों को डिरेल करने की साजिशें रची गई हैं। इन घटनाओं ने रेलवे प्रशासन की चिंता को बढ़ा दिया है, और अब इनकी गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), उत्तर प्रदेश की आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS), और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
घटनाओं का सिलसिला और बढ़ती आशंका
रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, बीते एक हफ्ते में देशभर में चार बार ट्रेनों को पटरियों से उतारने की कोशिशें की गई हैं। इनमें कानपुर, सोलापुर, जबलपुर जैसे प्रमुख शहर भी शामिल हैं। इसके अलावा, दो बार ट्रेनों पर पथराव की घटनाएँ भी सामने आई हैं, विशेष रूप से वंदे भारत ट्रेन को निशाना बनाया जा रहा है। इन घटनाओं ने यह आशंका पैदा कर दी है कि देश के रेलवे नेटवर्क के खिलाफ एक संगठित और बड़ी साजिश रची जा रही है। इन हमलों के पीछे असामाजिक तत्वों या आतंकवादी संगठनों का हाथ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
रेलवे ने इन घटनाओं के बाद से अपनी सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया है। संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त निगरानी बढ़ा दी गई है और ट्रेनों के रूट पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। साथ ही, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
जून 2023 से अब तक की घटनाएँ
जून 2023 से अब तक पटरियों के साथ छेड़छाड़ के 17 मामले सामने आ चुके हैं, जिनकी जांच रेलवे द्वारा की जा रही है। इनमें से कुछ मामले साजिश की गहरी योजनाओं की ओर इशारा करते हैं, जैसे कि सोलापुर और जबलपुर में हाल ही में हुई घटनाएँ। इन स्थानों पर ट्रेनों को पलटाने की कोशिशें की गईं, लेकिन समय रहते रेलवे स्टाफ की सतर्कता ने इन प्रयासों को विफल कर दिया।
आतंकी साजिश के संकेत
इन घटनाओं के बीच, पाकिस्तान से जुड़े आतंकी फरहतुल्लाह घोरी ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में उसने अपने फॉलोअर्स को ट्रेनों को पटरी से उतारने के लिए उकसाया है। वीडियो में साफ तौर पर कहा गया है कि अधिक से अधिक संख्या में ट्रेनों को डिरेल करने की कोशिश की जाए, ताकि देश में अराजकता फैलाई जा सके। कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस के ट्रैक पर एलपीजी सिलेंडर, पेट्रोल और माचिस का मिलना इस ओर संकेत करता है कि इस साजिश के पीछे आतंकी संगठनों का हाथ हो सकता है।
सिलसिलेवार साजिशें: कानपुर से लेकर अजमेर तक
कानपुर के पास बीते 23 दिनों में तीन प्रमुख साजिशें रची गईं। 24 अगस्त को फर्रुखाबाद में एक लकड़ी का बड़ा टुकड़ा ट्रैक पर रखा गया था, जिससे ट्रेन का इंजन टकरा गया। इसके बाद 16 अगस्त को झांसी रेलमार्ग पर साबरमती एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी, जब ट्रेन के इंजन से पटरी का एक टुकड़ा टकरा गया। 9 सितंबर को बिल्हौर के पास कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश का खुलासा हुआ, जहाँ एलपीजी सिलेंडर और पेट्रोल से भरे कंटेनर मिले, जो कि ट्रैक को उड़ा देने की एक स्पष्ट योजना थी।
सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, राजस्थान के अजमेर में भी 8 सितंबर को मालगाड़ी को पटरी से उतारने की साजिश रची गई। अजमेर में दो अलग-अलग जगहों पर पटरियों पर सीमेंट के ब्लॉक रखे गए थे। इस साजिश को समय रहते विफल कर दिया गया, और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
देशभर में अब ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहाँ ट्रेनों की पटरियों पर लकड़ी, लोहे के टुकड़े, पत्थर और सिग्नल से छेड़छाड़ जैसी घटनाएँ हो रही हैं। इन घटनाओं ने रेलवे सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे और सुरक्षा एजेंसियाँ अब इन साजिशों के पीछे के अपराधियों और संगठनों को खोजने में जुटी हुई हैं।
जांच और कार्रवाई
एनआईए, एटीएस, और आईबी जैसी शीर्ष जांच एजेंसियाँ अब इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही हैं। कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस मामले में अब तक कुल 14 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियाँ इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या इन घटनाओं का कोई बड़ा आतंकी नेटवर्क से संबंध है और क्या ये सिर्फ शुरुआत हैं या फिर इसके पीछे कोई बड़ी साजिश छिपी हुई है।
इन बढ़ते खतरों के बीच, रेलवे सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी साजिशों को रोका जा सके और यात्री सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।