मध्य प्रदेश के उर्जाधानी जिले सिंगरौली में हेल्थ सिस्टम बदहाल।

जिला संवाददाता – संतोष द्विवेदी।

सिंगरौली/मध्य प्रदेश। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल है।मरीज से ज्यादा बीमार अस्पताल दिख रहे हैं। कागज़ों में जो अस्पताल अच्छा खासा काम कर रहे हैं। उनकी जमीनी हकीकत देखेगें तो आप भी हैरान रह जाएंगे। सिंगरौली जिले के उप-स्वास्थ्य केंद्र की ग्राउंड रिपोर्ट देखकर आप भी भ्रम में पड़ जाएंगे कि हेल्थ फ़ॉर आल का दावा करने वाली मोहन सरकार के राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था का ये कैसा हाल है? अस्पताल भले ही खंडहर है। लेकिन सरकारी स्वास्थ्य विभाग की फाइलें दुरुस्त हैं। फाइलों में यहां अस्पताल भी है अस्पताल में डॉक्टर भी हैं नर्स भी हैं दवाइयां भी हैं और इलाज भी हो रहा है। लेकिन क्या सच मे सरकारी फाइलों के अनुसार सब कुछ हो रहा है।

न्यूजलाइन नेटवर्क की टीम ने जिले के कई उपस्वास्थ्य केंद्रों में जाकर जमीनी हकीकत को जाना टीम ने उपस्वास्थ्य केंद्रों की जमीनी पड़ताल करने के लिए सबसे पहले जिले के बिंदुल गाँव मे पहुँची। जहाँ गाँव के स्थानीय निवासी अंजनी गुप्ता बताते है इस गाँव मे 08, 10 साल पहले एक डॉक्टर यहाँ आये थे। इसके बाद उनका ट्रांसफर हो गया उसके बाद से यहाँ आज तक कोई डॉक्टर नही आया उपस्वास्थ्य केंद्र बने हुए करीब 10 साल हो गए इस उपस्वास्थ्य केंद्र में किसी तरह का कोई ईलाज नही होता यहाँ के लोगों को ईलाज के लिए 30 से 40 किलोमीटर दूर का सफर तय करके जिला मुख्यालय बैढन जाना होता है। आस पास में कोई अस्पताल नही है गाँव मे बनाया गया उपस्वास्थ्य केंद्र सिर्फ देखने के लिए बना है यहाँ ईलाज नही होता। उसी गाँव के ललित मोहन मिश्रा ने बताया कि इस उपस्वास्थ्य केंद्र का उपयोग जनस्वास्थ्य रक्षक करता है यहाँ किसी प्रकार का कोई दवाएं नही मिलती है उन्होंने आगे बताया कि बेहतर चिकित्सा के लिए हमें बैढन या माड़ा जाना पड़ता है जो कि 30 किलोमीटर दूर है।” न्यूजलाइन नेटवर्क की टीम जब आगे दूसरे गांव का रुख की तो पोड़ी पाठ गाँव का उपस्वास्थ्य केंद्र मिला जहाँ ताले लटके मिले लाखों रुपये से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन तो आकर्षक है। लेकिन इसमें कार्यरत कर्मियों के नदारत रहने से आम जनता त्रस्त है। उपस्वास्थ्य केंद्र के भवन के अंदर की तस्वीरें तो हैरान कर देने वाली है। अंदर बिल्कुल खंडहर, कूड़े कचरे का अम्बार, खिड़की दरवाजे गायब है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यहाँ कभी ताला खुलता ही नही है, यहाँ ईलाज नही होता है, सिर्फ दिखावे के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। इसके बाद टीम ने बिहरा गाँव मे बने उपस्वास्थ्य केंद्र का हाल जाना, वहाँ के भी उपस्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका मिला बिहरा गाँव के एक पैर से विकलांग जटा शंकर यादव बताते है कि गाँव मे बनाया गया उपस्वास्थ्य केंद्र में ईलाज नही हो पाता है, यहाँ किसी भी प्रकार की कोई दवाएं नही मिलती है। उसी गाँव के लालचंद्र पाल ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में कभी कभार जरूर कोई दवाएं मिल जाती है लेकिन उपस्वास्थ्य केंद्र में हमेसा ताला ही लटका रहता है। कोई भी दवाएं या ईलाज नही मिल पाता है। जिस वजह से ईलाज के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। यही हाल जिले के चितरंगी ब्लॉक के खैरा व बरहट उपस्वास्थ्य केंद्र का भी है। यहाँ भी उपस्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों की नदारत की वजह से यह केंद्र खँडहर में तब्दील हो गया है यहाँ भी ग्रामीणों को ईलाज नही मिल पाता है। ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाकर सेहत व पैसे बर्बाद करते है। कभी कभार तो झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर मे उन्हें जान भी गवानी पड़ती है. जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल जाने के ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र के रखरखाव के लिए आता है 1 लाख 75 हजार रुपए का फंड:- प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उपस्वास्थ्य केंद्र के रखरखाव और व्यवस्थाओं के लिए करीब एक लाख 75 हजार रुपए का फंड आता है। लेकिन जितनी बड़ी संख्या में सिंगरौली जिले में स्वास्थ्य केंद्र खंडहर हुए हैं। ऐसे उदाहरण अन्य किसी जिले में देखने को नहीं मिलता है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि इन स्वास्थ्य केंद्रों की देखरेख के लिए आने वाले इस फंड को कहा पर खर्च किया जाता रहा है?.

सैकङो लोगों की हुई मौत:- इन स्वास्थ्य केंद्राें के ठप होने की वजह से इनसे लगे गांवों में बीते तीन साल में लगभग सैकङो लोगों की मौत इलाज के अभाव में हुई है। कई प्रसूताओं को डिलीवरी के लिए कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। वहीँ इस पूरे मामले पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर पंकज सिंह ने कहा कि जिले में 227 उपस्वास्थ्य केंद्र है लेकिन 27 केंद्रो में स्टाफ की कमी है। लेकिन वहाँ पर भी टीम वर्क में काम किया जाता है, उपस्वास्थ्य केंद्र में सभी प्रकार की जांचे व प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध होती है कुछ केंद्रों में प्रसव भी होता है। उपस्वास्थ्य केंद्रों का संचालन का समय सुबह 9:00 बजे से लेकर सायं 5:00 बजे तक का रहता है।

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