न्यूज़लाइन नेटवर्क, सुकमा ब्यूरो
सुकमा : जिले के ग्राम सिंलगेर की घटना के बाद उस घटना के विरोध में एवं दोषी पुलिस फोर्स के जवानों को दण्ड देने की मांग को लेकर मूलवासी बचाओ मंच अस्तित्व में आया। बस्तर के अंदर जहां-जहां पुलिस व कोर्स द्वारा कथित रूप से निर्दोष व्यक्तियों की हत्या को मुठभेड़ बताया गया। वहां वहां मूलवासी बचाओ मंच द्वारा धरना आंदोलन शुरू किया गया। करीब 15 स्थान में ऐसे धरना आंदोलन चल रहे थे, ऐसा हमारे पास जानकारी है । 18 नवंबर 2024 को बस्तर प्राधिकरण की बैठक में मूलवासी बचाओ मंच पर प्रतिबंध छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लगाया गया। हमारे कई आंदोलन में मूलवासी बचाओ मंच के कार्यकर्ता भाग लेते थे, यहां तक आदिवासी समाज द्वारा आयोजित आंदोलन व सभा में भी हिस्सा लेते थे। मैं व कई संगठनों व बौद्धिक लोग भी सिंलगेर में मूलवासी बचाओ मंच के आंदोलन व कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं। मूलवासी बचाओ मंच आंदोलन कोई हथियार बंद आंदोलन नहीं था। प्रजातांत्रिक दायरे में ही होता था।
दूसरा यहां की सरकार शांतिपूर्ण तरीके से माओवादी समस्याओं को हल करने के दिशा में मूलवासी बचाओ मंच का इस्तेमाल कर बातचीत शुरू कर सकती थी। लेकिन सरकार जल्द में है, 2026 तक नक्सल मुक्त जो करना है, सलवा जूड़ूम से ही ऐसे डेड लाइन सुनते आ रहे हैं। दर-असल नक्सलियों को मार कर खत्म करने का सरकार का इरादा है हमारी मांग हमेशा शांतिपूर्ण हल करने की रही है, और सरकार को इस पर पहल करनी चाहिए लेकिन सरकार की मंशा कुछ और भी है। संविधान के दायरे में कोई संगठन का काम करता है तो उस पर प्रतिबंधित करना उचित नहीं है, मूलवासी बचाओ मंच पर प्रतिबंध गैर प्रजातांत्रिक है। सरकार का यहां फैसला संविधान के विरुद्ध है।