
असम में होटल, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर बीफ पर पूर्ण प्रतिबंध: सीएम हिमंता बिस्वा सरमा का ऐतिहासिक कदम
असम में अब बीफ परोसने या सार्वजनिक स्थानों पर इसे खाने की इजाजत नहीं होगी। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को इस फैसले की घोषणा की। इस कदम के तहत होटल, रेस्तरां, सार्वजनिक समारोहों और किसी भी सामुदायिक आयोजन में बीफ या उससे संबंधित व्यंजनों को सर्व करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फैसला राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
बीफ पर प्रतिबंध: क्या है नया आदेश?
मुख्यमंत्री सरमा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा,
“पहले, हमारा फैसला केवल मंदिरों और धार्मिक स्थलों के पास बीफ खाने पर रोक लगाने तक सीमित था। लेकिन अब हमने इसे पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया है। अब किसी भी होटल, रेस्तरां, सार्वजनिक स्थल या सामुदायिक कार्यक्रम में बीफ परोसा या खाया नहीं जा सकेगा।”
सरकार ने इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। यह संशोधन राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया।
पहले क्या थे नियम और कैसे हुए बदलाव?
असम में बीफ का सेवन अब तक पूरी तरह से गैरकानूनी नहीं था।
- पुराने नियम: असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021 के तहत, मंदिरों, वैष्णव मठों (सत्र) और हिंदू, जैन, व सिख समुदायों की बहुसंख्या वाले क्षेत्रों के 5 किलोमीटर के दायरे में बीफ बेचने और मवेशी वध पर रोक थी।
- नया बदलाव: अब इस अधिनियम में संशोधन करते हुए पूरे राज्य में बीफ परोसने और सार्वजनिक स्थानों पर इसके सेवन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह प्रतिबंध होटल, रेस्तरां और सार्वजनिक आयोजनों पर भी लागू होगा।
फैसले के पीछे का विवाद और राजनीति
इस फैसले की पृष्ठभूमि में हाल ही में एक राजनीतिक विवाद जुड़ा हुआ है।
- कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने आरोप लगाया था कि नगांव जिले के सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बीफ पार्टी का आयोजन किया था। उनका कहना था कि यह मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का प्रयास था।
- इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम सरमा ने कहा,
“रकीबुल हुसैन ने सही कहा है कि बीफ खाना गलत है। अगर कांग्रेस नेता इस पर प्रतिबंध की मांग करते हैं, तो हम इसे लागू करने के लिए तैयार हैं।”
मुख्यमंत्री ने आगे यह भी कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखकर पूछेंगे कि क्या वह भी इस प्रतिबंध का समर्थन करते हैं।
धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण
असम एक ऐसा राज्य है जहां धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का बड़ा महत्व है।
- बीफ पर रोक लगाने का यह कदम धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है।
- राज्य सरकार का मानना है कि सार्वजनिक स्थानों पर बीफ खाने से धार्मिक समुदायों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
- इसके साथ ही, यह प्रतिबंध सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और राज्य में शांति और एकता को बढ़ावा देने का प्रयास है।
प्रभाव और संभावित परिणाम
इस प्रतिबंध से असम में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- होटल और रेस्तरां व्यवसाय:
- होटल और रेस्तरां अब बीफ या उससे संबंधित व्यंजन अपने मेन्यू में नहीं रख सकेंगे।
- ऐसे व्यवसायों को अब अपने व्यापार के तरीकों में बदलाव करना होगा।
- सामुदायिक आयोजनों पर प्रभाव:
- शादी, त्यौहार या अन्य सार्वजनिक समारोहों में बीफ परोसना अब पूरी तरह गैरकानूनी होगा।
- धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
- यह फैसला धार्मिक स्थलों और बहुसंख्यक समुदायों की भावनाओं को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार की मंशा और भविष्य की योजना
सरकार का दावा है कि यह फैसला समाज में एकता और शांति बनाए रखने के लिए लिया गया है। मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि यह किसी एक समुदाय को निशाना बनाने का प्रयास नहीं है, बल्कि राज्य में सामाजिक संतुलन बनाए रखने का एक तरीका है।
असम सरकार का यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इस फैसले का राजनीतिक असर और व्यावसायिक प्रभाव आने वाले समय में देखने को मिलेगा।