
सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य के आधार पर आसाराम बापू को दी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दर्ज एक रेप केस के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू को चिकित्सा कारणों के आधार पर जमानत दे दी है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यह जमानत केवल उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दी गई है और इसके साथ कुछ सख्त शर्तें भी जोड़ी गई हैं।
जमानत की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि जमानत के दौरान आसाराम न तो किसी प्रकार के साक्ष्य (सबूत) के साथ छेड़छाड़ करेंगे और न ही अपने किसी समर्थक से संपर्क करेंगे। अदालत ने यह कदम इस मामले में निष्पक्षता बनाए रखने और जांच में किसी भी तरह की बाधा को रोकने के उद्देश्य से उठाया है। जमानत का यह आदेश न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने जारी किया।
स्वास्थ्य समस्याओं का दिया हवाला
अदालत ने आसाराम के बढ़ती उम्र और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए यह फैसला लिया। 86 वर्षीय आसाराम लंबे समय से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और अन्य उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके वकील ने अदालत को यह जानकारी दी थी कि उनका स्वास्थ्य दिन-ब-दिन खराब हो रहा है, और उन्हें नियमित चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है, जो जेल में संभव नहीं है।
गांधीनगर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील
आसाराम ने 2023 में गांधीनगर की एक विशेष अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। यह सजा 2013 के एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में दी गई थी। उस समय यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना था।
आदेश का महत्व
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बताता है कि जमानत केवल मानवीय आधार पर दी गई है और इसका उद्देश्य किसी प्रकार से उनके अपराध को कमतर करना नहीं है। इस दौरान आसाराम के किसी भी गतिविधि पर नजर रखी जाएगी ताकि वह मामले की जांच को प्रभावित न कर सकें।
यह फैसला एक बार फिर से अदालतों द्वारा कानून की निष्पक्षता और मानवीय मूल्यों के प्रति संतुलन बनाए रखने की कोशिश को दर्शाता है।