एनसीएल विस्थापन निति के विरोध में विस्थापित कल करेंगे प्रदर्शन, खदानों में ब्लास्टिंग व उत्पादन को करेंगे बाधित।

धरने को लेकर पुलिस अधिकारियों ने लिया धरना स्थल का जायजा।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट

सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। सिंगरौली विस्थापन संघर्ष समिति द्वारा जयंत खदान के समीप पुरानी राईस मिल व चड्डा कंपनी कैम्प के पास धरना प्रदर्शन कर विरोध प्रकट करते हुए उत्पादन एवं ब्लास्टिंग रोकने की घोषणा के बाद अब जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। धरना प्रदर्शन को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक रंजन, सीएसपी पी.एस. परस्ते, मोरवा थाना प्रभारी निरीक्षक यू.पी. सिंह, विंध्यनगर थाना प्रभारी निरीक्षक अर्चना दिवेदी व उपनिरीक्षक सुधाकर सिंह परिहार ने धरना स्थल का जायजा लेने के साथ ही मोरवा थाने में धरना प्रदर्शन के आयोजक मंडल व अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री अमित तिवारी से धरना प्रदर्शन को लेकर चर्चा की। गुरुवार 05 जून को सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक यह प्रदर्शन किया जाना है, जिसमें हजारों विस्थापित के पहुंचने का अनुमान है। इसे लेकर संघर्ष समिति ने खदान में ही खिचड़ी वितरण करने की व्यवस्था रखी है। विस्थापितों द्वारा किए जा रहे इस प्रदर्शन को लेकर कल मोरवा पुलिस बल के साथ अतरिक्त बल की भी व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि सिंगरौली विस्थापन संघर्ष समिति द्वारा 18 मई को बस स्टैंड मोरवा में एक जनसभा आयोजित कर लोगों को अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया गया था। एनसीएल प्रबंधन को चेतावनी दिया गया था कि 31 मई तक मांगो पर विचार नहीं किया गया तो 05 जून को उत्पादन रोको अभियान के तहत जयंत खदान का प्रोडक्शन बाधित करने को विवश होना पड़ेगा। अमित तिवारी ने बताया था कि एनसीएल के द्वारा किसी भी प्रकार का सार्थक बातें नहीं की गई इसलिए अब 05 जून को एनसीएल जयंत परियोजना का ब्लास्टिंग एवं प्रोडक्शन बंद कर प्रबंधन को आगाह किया जायेगा। इसके बावजूद भी एनसीएल प्रबंधन अपने रूख में बदलाव नही लाता है तो आगे और बड़ा आंदोलन करने पर विस्थापित जनता अमादा है। जयंत खदान का उत्पादन व ब्लास्टिंक बंद करने के कार्यक्रम का नेतृत्व सिंगरौली के पूर्व विधायक रामलल्लू बैस, मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी के नेतृत्व में हजारो की संख्या में विस्थापन से प्रभावित लोग मौजूद रहेंगें।
अमित तिवारी का कहना है कि विभिन्न मंचों एवं जिला प्रशासन के साथ बैठक कर विस्थापन एवं पुनर्वास को लेकर रूपरेखा तय की गई। परंतु विस्थापन एवं पुनर्वास को लेकर मोरवा में शासकीय जमीनों पर लंबे समय से बसे परिवारों को एनसीएल की नीति रास नहीं आ रही। यहां इनका आरोप है एनसीएल प्रबंधन दोहरी नीति अपना रहा है। सरकारी भूमि पर बसे लोगों का मानना है कि पट्टेधारकों के तर्ज पर उन्हें भी वहीं लाभ व सुविधा मिलनी चाहिए। क्योंकि मोरवा के अन्य लोगों की तरह इन परिवारों को भी बेघर होने की त्रासदी झेलनी पड़ेगी। गौरतलब है कि एनसीएल प्रबंधन बहुत जल्दी ही नापी किए गए मकान की नोटिस जारी कर मुआवजा वितरण का कार्य शुरू करने वाला है। विस्थापन संघर्ष समिति की प्रमुख मांगे शासकीय भूमि, वन भूमि एवं अनुबंधित भूमि पर निर्मित सभी आवासों के स्वामियों को 15 लाख की सम्मानजनक राशि प्रदान करने। प्रत्येक परिवार के सभी पात्र सदस्यों को 15-15 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें।
आवासों के संपूर्ण क्षेत्रफल का उचित सोलेशियम प्रदान किया जाए, जो हमारे भावनात्मक और भौतिक क्षति की पूर्ति कर सके। एकमुश्त विस्थापन भत्ते की राशि को वर्तमान 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए, ताकि हम नए स्थान पर सुगमता से अपना जीवन पुनः आरंभ कर सकें। पुनर्वास स्थल (आरएण्ड आर) के विकल्प के स्थान पर, शासकीय भूमि, वन भूमि अथवा अनुबंधित भूमि पर आवासित परिवारों को कम से कम 15 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान करने। अनुबंध की भूमि पर निर्मित आवासों के मुआवजे की संपूर्ण राशि सीधे भवन स्वामी के खाते में हस्तांतरित करने। सभी विस्थापितों को मेडिकल कार्ड प्रदान कर चिकित्सकीय सुविधा सुनिश्चित करने। स्कूलों/कालेज में शिक्षारत विद्यार्थियों के लिए उचित शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने इत्यादि मांगो को शामिल किया गया है।

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