प्राइवेट बैंकों के चक्कर में फंस रही जनता, करोड़ों रुपए की लग रही चपत, स्थानीय एजेंटों के आग्रह पर प्राइवेट बैंकों में खुले खातों से उड़ जा रहे करोड़ों रुपए —– सुरेन्द्र अग्रहरि

कड़े कदम उठाए जाने पर ही रुक सकता हैं ऐसे बैंकों का संचालन।

न्यूजलाइन नेटवर्क – तहसील संवाददाता – उपेन्द्र कुमार तिवारी

दुद्धी/सोनभद्र। कभी आसमा तो कभी गैलेक्सी, कभी पल्स, तो कभी कृषि एसोसिएट्स, कभी लक तो कभी सीएमडी फाइनेंस बैंको के चक्कर में पड़ कर अरबों रुपए जमा कर चुके दुद्धी व आसपास के गांवों के लोगों का अब तक अरबों रुपए डूब चुका हैं। सरकार द्वारा कई बार जागरूकता फैलाने के बावजूद लोग इस चक्कर में इसलिए फंस जाते है क्योंकि यहां के स्थानीय लोग एजेंट बनकर लोगो से आग्रह करते हैं कि आपका पैसा इस बैंक में जमा होगा तो इतना ब्याज मिलेगा और स्वयं गारंटी ले लेते है और इस प्रकार लोगो का पैसा जमा करवाते हैं और किसी का एक वर्ष दो वर्ष पूर्ण होने पर रुपए वापसी करवाकर भरोसा और विश्वास जीत लेते है फिर बड़ी रकम के चक्कर में पड़कर दुगुना आवर्ती जमा खाता या 5 वर्ष में दुगुना पैसा होगा इसका लालच दिलवाते है और अपना ज्यादा कमीशन प्राप्त करते है।
इस प्रकार जब दस बीस करोड़ रुपए जमा हो जाते है और लोगो के खाते पूर्ण होने होते है तब बैंक वाले सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करवा लेते है और पन्द्रह बीस दिन में पैसा पूरा मिल जाएगा। ऐसा कहकर बैंक रफू चक्कर हो जाते हैं और जनता की गाढ़ी कमाई चली जाती हैऔर जनता सिर पीटती रह जाती हैं। वही एजेंट जो खाता खुलवाया रहता है उससे वाद विवाद होता रहता है, यहां तक कि मारपीट भी हो जाती है। पीड़ित अजय कुमार ने बताया कि मेरा सीएमडी बैंक में 7 लाख रुपए जमा हुआ है। भगवान दास सोनी ने कहा कि मेरा दो लाख रुपए जमा हुआ है, राजू कांस्यकार ने बताया कि मेरा 4 लाख रुपए जमा हुआ है इसी तरह लक बैंक में पैसा जमा करने वालों कीभी तादाद ज्यादा है एजेंट का कहना है कि बात हो रही है पैसा मिलेगा लेकिन पैसा कहा से मिलेगा, यह तो भगवान ही मालिक है।
सामाजिक कार्यकर्त्ता सुरेन्द्र अग्रहरि ने कहा कि रिजर्व बैंक ऐसे प्राइवेट बैंकों पर नकेल नहीं कसती है जिससे ऐसे बैंक क्षेत्रों में खुल रहे हैं और जनता की गाढ़ी कमाई बर्बाद हो जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार प्रशासनिक तौर पर सरकारी और अर्द्ध सरकारी बैंकों की चेकिंग के लिए सरकारी तन्त्र का उपयोग करती हैं ठीक उसी तरह से ऐसे खुल रहे बैंकों पर भी नकेल कसने का काम किया जाए तो निश्चित रूप से इस पर लगाम लगेगा। कोई बेटी की शादी के लिए तो कोई मकान बनवाने के लिए तो कोई जमीन खरीदने के लिए पैसा ऐसे एजेंटों के चक्कर में आकर खाता खुलवा लेता है लेकिन बाद में वाद विवाद, मनमुटाव ही होता है।
पुलिस प्रशासन के पास जाने पर मुकदमा दर्ज कर लिया जाता हैं लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहानी चरितार्थ होती हैं। अग्रहरि ने जिलाधिकारी महोदय से मांग किया है कि जनपद में खुल रहे ऐसे बैंकों पर कड़ी कार्यवाही की जाए और ऐसे बैंकों को अविलंब बन्द करवाया जाए, नहीं तो स्थिति भयावह हो सकती हैं और खून खराबे से कोई नहीं रोक सकता।

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