
न्यूजलाइन नेटवर्क – चितरंगी संवाददाता – आदर्श तिवारी
चितरंगी/सिंगरौली। सिंगरौली जहां एक ओर सरकारें विकास के दावे करती नहीं थकतीं, वहीं दूसरी ओर सिंगरौली जिले के ग्रामीण अंचलों की हकीकत उन दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। चितरंगी जनपद पंचायत अंतर्गत बगदरा अभ्यारण्य क्षेत्र में आज भी स्थायी मार्ग का अभाव ग्रामीणों की बड़ी समस्या बना हुआ है। विशेष रूप से कोरावल के समीप बेलहवा नदी पर पुल न होने से कुलकवार और बगदरा गांव के लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा है। बरसात के दिनों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, जब नदी का बहाव तेज हो जाता और दोनों गांवों का संपर्क कट जाता। इस स्थिति को देखते हुए स्थानीय संगठन कोरावल विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. रमाशंकर बैस ने ग्रामीणों के सहयोग से एक अनूठी पहल की। उन्होंने देसी जुगाड़ तकनीक का उपयोग करते हुए पीपा पुल तैयार करवाया, जिससे लोगों को अब सुरक्षित आवागमन की सुविधा मिल सकी है।
इस नवाचार से ग्रामीणों को राहत तो जरूर मिली है, लेकिन साथ ही यह कार्य प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।जब एक ही क्षेत्र में मंत्री, विधायक, से लेकर सरपंच जैसे जिम्मेदार लोग मौजूद हैं, तो एक साधारण पुलिया तक का निर्माण क्यों नहीं हो सका? क्या यह स्थिति “दीपक तले अंधेरा” वाली कहावत को चरितार्थ नहीं करती?जनता की पीड़ा और नेताओं की चुप्पी जनता की जरूरतों को अनदेखा कर चुनावी वादों की झड़ी लगाने वाले नेता अब कुर्सियों पर मौन बैठे हैं। आम लोग खुद अपने संसाधनों से रास्ता बना रहे हैं, जबकि जिम्मेदार अब भी निष्क्रिय हैं।सवाल यह है कि क्या इस समाचार के प्रकाशन के बाद प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नींद खुलेगी, या फिर क्षेत्र की जनता को यूं ही अपने हाल पर छोड़ दिया जाएगा?
जनसहभागिता बनी मिसालफिलहाल कोरावल विकास मंच और ग्रामीणों की यह पहल आत्मनिर्भरता और जनसहभागिता का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी है। अब क्षेत्र की जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या जिम्मेदार जागेंगे और स्थायी समाधान की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाएंगे?