
भगवत्पथ में बीज का नाश नहीं, संपूर्ण भाव से एक परमात्मा की शरण में, भगवान स्वयं जीव का योग क्षेम करेंगे।
न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट- अरविन्द प्रकाश मालवीय
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश। गुरु पूर्णिमा से 05 दिन पूर्व परमहंस आश्रम शक्तेशगढ़ के योगेश्वर महाप्रभु शाश्वत तत्वदर्शी एवं यथार्थ गीता के प्रणेता स्वामी अड़गड़ानंद महाराज मीडिया के माध्यम से अपने सभी भक्तों को अध्यात्मिक संदेश दिए।योगेश्वर महाप्रभु ने कहा कि भागवत्पथ में बीज का कभी भी नाश नहीं होता है यदि साधक अनन्य भक्ति के साथ ( अर्थात दूसरे अन्य किसी भी देवी- देवताओं का स्मरण भी किंचित मात्र भी न होने पाए) तो ऐसा साधन मेरा भजन करके शीघ्र ही धर्मात्मा हो जाता है एवं सदा रहने वाली शाश्वत शांति को प्राप्त कर लेता है अतः धर्मात्मा वह है जो एक परमात्मा के प्रति समर्पित है योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा कि “किसी तत्वदर्शी के पास जाओ। निष्कपट: भाव से सेवा करके उस ज्ञान को प्राप्त करो।” श्रीकृष्ण ने महापुरुषों द्वारा शोधित सत्य को ही उद्घाटित किया है।
गीता किसी विशिष्ट व्यक्ति, जाति, वर्ग, पंथ, देश-काल या किसी रूढ़ि ग्रस्त संप्रदाय का ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह सार्वलौकिक, सार्वकालिक, धर्म ग्रंथ है यह प्रत्येक देश, प्रत्येक जाति तथा प्रत्येक स्तर के प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए, सबके लिए है। आश्रम के वरिष्ठ संत नारद महाराज ने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण के अनुसार संसार अविनाशी पीपल का वृक्ष है ऊपर परमात्मा जिसका मूल और नीचे प्रकृति पर्यंत शाखाएं हैं जो इस प्रकृति का अंत करके परमात्मा को विदित कर लेता है, वह वेदवित् है आश्रम के संत लाले महाराज, सोहन महाराज, तानसेन महाराज, आशीष महाराज, दीपक महाराज, चंद्र चमकानंद महाराज इत्यादि लोगों ने समाज के सम्मुख यथार्थ गीता की सार्वभौमिकता को विस्तार पूर्वक समझाते हुए कहा कि श्रीकृष्ण एक योगेश्वर थे, आत्मा ही सत्य है, आत्मा सनातन है परमात्मा सनातन है परमात्मा से मिलाने वाली क्रिया सनातन धर्म है, परमात्मा की प्रत्यक्ष जानकारी “ज्ञान “है संसार के संयोग-वियोग से रहित अव्यक्त ब्रह्मा के मिलन का नाम ‘योग’ है आराधना ही कर्म है। अपने पर निर्भर होकर कर्म में प्रवृत्त होना ज्ञान योग है। इस गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर देश के कोने-कोने से महात्माओं का आगमन हो चुका है, श्रद्धालुओं के लिए आश्रम में किसी भी प्रकार की असुविधा का न सामना करना पड़े, इसके लिए एक महीने से विधिवत तैयारी हो चुकी है आश्रम में फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीम, सरकारी एंबुलेंस एवं राजगढ़ और चुनार से आने वाले भक्तों के लिए 05 किलोमीटर पूर्व ही वाहनों के खड़ा करने की व्यवस्था कर दी गई है। आगामी 10 जुलाई को प्रातः काल से ही योगेश्वर महाप्रभु के दर्शन पूजन अर्चन का सिलसिला शुरू होगा सबसे पहले आश्रम के महात्माओं द्वारा योगेश्वर महाप्रभु का दिव्य दर्शन पूजन अर्चन एवं आशीर्वाद प्राप्त होगा विशालकाय भंडारे का भी आयोजन जब तक भक्त लोग आते रहेंगे तब तक प्रसाद ग्रहण करते रहेंगे परमहंस आश्रम में चप्पे-चप्पे पर भक्तों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है यथार्थ गीता की निःशुल्क स्टाल भी लगा दी गई है।
उपजिलाधिकारी चुनार राजेश कुमार ने बताया कि आश्रम की तैयारी के संदर्भ में प्रशासनिक स्तर पर एक बैठक पुनः आहूत की गई है इस बैठक में तब तय किया जाएगा कि आश्रम की सुरक्षा व्यवस्था को कितने जोन में बांटा जाएगा हालांकि उन्होंने इतना स्वीकारा की आश्रम में भारी भीड़ आने की प्रबल संभावना है। पिछले वर्ष सुरक्षा की दृष्टि से पूरे आश्रम को 04 जोन में बांटा गया था। परमहंस आश्रम शक्तेशगढ़ के वरिष्ठ संत नारद महाराज के मुताबिक पिछले वर्ष गुरु पूर्णिमा में 20 लाख से भी ज्यादा भक्तों ने योगेश्वर महाप्रभु सद गुरुदेव भगवान का दर्शन-पूजन एवं विशालकाय भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस वर्ष भी 20 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की उम्मीद बताई गई है।