शिक्षा विभाग में आदेश की उड़ती धज्जियां, नौडीहवा ख़ैडार स्कूल का मामला बना पहेली।

न्यूजलाइन नेटवर्क- चितरंगी संवाददाता – आदर्श तिवारी

चितरंगी/सिंगरौली।सिंगरौली, चितरंगी विकासखंड अंतर्गत संकुल नौडीहवा ख़ैडार में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। 20 मई 2025 को जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार संकुल प्रभारी कृष्ण कुमार प्रजापति को उनके मूल पदस्थापना स्थल हाइस्कूल बरवाडीह के लिए पदमुक्त किया गया था। साथ ही उसी दिन विनोद प्रजापति को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नौडीहवा ख़ैडार का प्रभार सौंपा गया। लेकिन आज दिनांक तक उस आदेश की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। कृष्ण कुमार प्रजापति अब भी नौडीहवा स्कूल में कार्यरत हैं, जबकि जिन्हें प्रभार सौंपा गया — विनोद कुमार प्रजापति — वे इस आदेश से पूरी तरह अनजान बने हुए हैं।
जब इस मामले में कृष्ण कुमार प्रजापति से बात कि गई तो उनका सीधा जवाब था — “मुझे ऐसा कोई आदेश मिला ही नहीं, जिससे मैं अपने मूल पदस्थापना स्थल पर कार्यभार ग्रहण कर सकूं।” यह मामला जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या आदेश केवल कागजों तक सीमित हैं? या फिर उन्हें अमल में लाने की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा? स्थानीय नेताओं का भी फूटा गुस्सा, इस मुद्दे को लेकर बगदरा मंडल भाजपा अध्यक्ष एवं नौडीहवा निवासी गंगा प्रसाद बैस ने भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि, विद्यालय की सफाई व्यवस्था भी बेहद बदहाल है, जिस पर लगातार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।परीक्षा फीस में भी बड़ा घोटाला,गंगा प्रसाद बैस ने एक और गंभीर खुलासा करते हुए बताया कि —“शासकीय उच्च. मा. वि. नौडीहवा ख़ैडार में पिछले तीन वर्षों से बच्चों से परीक्षा फार्म भरवाने के नाम पर 1240 रुपये प्रति छात्र वसूले गए, जबकि ये सभी फार्म संबल योजना के अंतर्गत शासन द्वारा केवल 25 रुपये में भरवाए जाने थे। छात्रों को जो शेष राशि शासन से मिलनी थी, वह न तो वापस की गई और न ही कोई जानकारी दी गई। यह सीधे तौर पर छात्र हितों के साथ धोखा और सरकारी राशि का गमन है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”
अब ज़रूरी है सख्त जांच और जवाबदेही, नौडीहवा स्कूल का यह मामला केवल एक विद्यालय की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।
ऐसे में ज़रूरी है कि जिला कलेक्टर व वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी तत्काल संज्ञान लें और पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराएं। जो भी शिक्षक या अधिकारी आदेशों की अवहेलना, शासकीय योजनाओं के दुरुपयोग या छात्रों की फीस राशि गमन में संलिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाए। बच्चों के भविष्य के साथ किया गया कोई भी खिलवाड़, माफ़ी के काबिल नहीं होना चाहिए। गंगा प्रसाद बैस के द्वारा लगाए गए आरोप की पुष्टि मेरे संवाददाता या मेरा चैनल नहीं करता ये विभागीय अधिकारियो के जांच के बाद ही पुष्टि हो पाएगी।

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