स्वच्छता
स्वस्थ जीवन जीने के लिए
स्वच्छता अपनाएं,
हर बाजारू फल-सब्जियां
धो करके ही खाएं।
हर सुबह को ब्रश किये बिन
खाना कभी न खायें,
काम करके घर आते ही
रोज हम नहायें।
भोजन सदा करने से पहले
हाथ मुंह को धोएं,
अगर पैर में धूल सनी तो
नहीं ऐसे ही सोएं।
नदी नाले खेत सड़क पर
न करें खुले में शौच,
मल मूत्र से अनेंक बीमारी
आ जाती है लौट।
धूल धूएं से पर्यावरण को
दूषित नहीं बनायें,
अनेंक पेड़ हर वर्ष लगाकर
शुद्ध आक्सीजन पायें।
कूड़ा कचरा प्लास्टिक पेपर
यहां-वहां न फेंकेंगे,
धरती अगर न स्वच्छ रही तो
रोग ग्रस्त जीवन देखेंगे।
स्वच्छ रखें घर आंगन अपना
स्वच्छ रखें तन मन,
पर्यावरण भी स्वच्छ रखने का
संकल्प लें जन जन।
मिलजुल सब आगे बढ़ायें
स्वच्छता अभियान,
स्वस्थ जीवन जीने का
यही एक वरदान।
लेखक/कवि
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, लेन्ध्रा छोटे
सारंगढ़, छत्तीसगढ़।