दुनिया के कई देशों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे वे अनेक सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भारत, जहां जनसंख्या की वृद्धि दर विश्व में सबसे अधिक है, इसका एक प्रमुख उदाहरण है। हालांकि, इस समस्या के विपरीत दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां जनसंख्या कम होने के बावजूद वे गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन देशों में से एक है जापान, जहां जनसंख्या की कमी और वृद्ध होती आबादी देश के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है। जापान में न केवल जनसंख्या की संख्या कम हो रही है, बल्कि वहां युवाओं की कमी के कारण श्रम बल की भी भारी कमी महसूस की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप देश को आर्थिक मंदी और विकास की रफ्तार में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में जापान से जुड़ी एक खबर ने काफी सुर्खियां बटोरी, जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि जापान ने “ब्रीडिंग वीज़ा” नामक एक नई योजना शुरू की है। इस वीज़ा के तहत विदेशी पुरुषों को जापान बुलाया जा रहा है, ताकि वे देश में आकर बच्चों का जन्म कर सकें और जनसंख्या में बढ़ोतरी में योगदान दें। इस तरह के दावे सोशल मीडिया पर काफी तेजी से फैल रहे हैं और लोगों के बीच भ्रम पैदा कर रहे हैं।
हालांकि, जापान की प्रमुख समाचार एजेंसी “क्योडो न्यूज” ने इस खबर को पूरी तरह से खारिज किया है और स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई भी ब्रीडिंग वीज़ा कार्यक्रम जापान में लागू नहीं किया गया है। क्योडो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जापान ने हाल ही में अपने वीज़ा नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, लेकिन इसका उद्देश्य केवल देश में श्रम शक्ति की कमी को पूरा करना और विदेशी कामगारों की संख्या बढ़ाना है। जापान की गिरती अर्थव्यवस्था और वृद्ध होती जनसंख्या के कारण, सरकार यह सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है कि अधिक से अधिक युवा विदेशी श्रमिक जापान में आकर काम करें और देश की अर्थव्यवस्था को गति दें।
जापान की जनसंख्या संरचना एक बड़ी समस्या बन चुकी है। वहां की कुल जनसंख्या का लगभग 29.1 प्रतिशत हिस्सा 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का है, जो देश की कुल श्रम शक्ति पर एक बड़ा बोझ बन चुका है। कामकाजी उम्र के लोग लगातार कम हो रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, जापान में जन्म दर भी अत्यधिक कम हो गई है, जिससे जनसंख्या में कोई नई वृद्धि नहीं हो रही है। 2024 तक जापान की जनसंख्या घटकर 12.6 करोड़ तक पहुंच गई है, और इस गिरावट की दर भविष्य में और तेज हो सकती है।
इस स्थिति से निपटने के लिए जापान ने अपने वीज़ा नियमों में बदलाव किया है। क्योडो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अब जापान में विदेशी नागरिकों को दिए जाने वाले वीज़ा की अवधि को बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है, ताकि वे जापान में लंबी अवधि तक रह सकें और काम कर सकें। इसका मकसद यह है कि अधिक से अधिक युवा विदेशी कामगार जापान आकर वहां की श्रम शक्ति में अपना योगदान दें और देश की अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकें। इन नए वीज़ा नियमों के तहत जापान सरकार ने यह प्रयास किया है कि युवा श्रमिक देश में आएं और वहां की वृद्ध होती जनसंख्या की समस्या को कम करें।
सोशल मीडिया X(twitter) पर सख्स ने इस वाक्या पर कुछ इस तरह की प्रतिक्रिया दी जो काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
जापान की जनसंख्या में लगातार गिरावट के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारणों में से एक है वहां की जन्म दर में आई भारी गिरावट। जापान की सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई नीतियां बनाई हैं जो कि परिवार नियोजन को बढ़ावा देती हैं और जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देती हैं। इसके अलावा, वहां की सामाजिक संरचना और जीवनशैली भी लोगों को कम बच्चे पैदा करने की दिशा में प्रेरित करती है। जापान में अधिकांश युवा कामकाजी लोग करियर पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसके कारण वे शादी और बच्चों को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि देश में जन्म दर अत्यधिक कम हो गई है, जिससे जनसंख्या में निरंतर गिरावट हो रही है।
इस जनसांख्यिकीय संकट से उबरने के लिए जापान सरकार ने कई अन्य कदम भी उठाए हैं, जिनमें विदेशी निवेशकों और कामगारों को आकर्षित करना शामिल है। इसके तहत सरकार ने अपने वीज़ा नियमों में ढील दी है, ताकि विदेशी युवा कामगार देश में आकर लंबे समय तक रह सकें और जापान की श्रम शक्ति में शामिल हो सकें। यह रणनीति जापान को अपनी आर्थिक स्थिति को स्थिर करने और वृद्ध होती आबादी के बोझ को कम करने में मदद कर सकती है।
कुल मिलाकर, जापान की मौजूदा समस्या केवल जनसंख्या की गिरावट से जुड़ी नहीं है, बल्कि देश की पूरी सामाजिक और आर्थिक संरचना पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। सरकार के प्रयास अब इस संकट से उबरने पर केंद्रित हैं, और नए वीज़ा नियम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।