
न्यूजलाइन नेटवर्क , बिलासपुर ब्यूरो
बिलासपुर : कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती का 23वीं प्रांतीय साधारण सभा का आयोजन 15 जून 2024 से 16 जून 2024 तक श्री सिद्धिविनायक मंदिर रतनपुर में आयोजित किया गयाl जिसमें निरंजन पंडा संयोजक छत्तीसगढ़ी महाकौशल जनता अध्यक्ष रिखि छत्रि प्रांत अध्यक्ष छत्तीसगढ़ अनिल जोशी मध्य क्षेत्र रीवा की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ किया गयाl अतिथियों ने अपना विचार रखते हुए बताया कि संस्कार भारती के वैधानिक और वैचारिक भाग पर परिचर्चा का आयोजन किया गयाl वर्तमान परिपेक्ष में कला के माध्यम से गुणात्मक परिवर्तन की आवश्यकता हैl कला में हो रहे परिवर्तन में वर्तमान परिदृश्य को शामिल करते हुए पुरातन गौरवशाली परंपरा को भी शामिल करना है ताकि हमारी नई पीढ़ी भारत की गौरवशाली परंपरा से अवगत हो सकेl हमारा उद्देश्य भीड़ एकत्रित करना नहीं है बल्कि उनकी गुणवत्ता एवं उपयोगिता को प्रदर्शित करना हैl आदिवासी अंचल से बालक बालिकाओं को कला एवं साहित्य में पारंगत किया जा रहा है जिसका प्रदर्शनके ओडिसी नृत्य माध्यम से किया गयाl
11 जिले के संस्कार भारती जिला इकाई के सदस्य गण उपस्थित रहेl साथ ही प्रांतीय कार्यकारिणी कार्यकारिणी के सदस्य गण उपस्थित रहेl मुंगेली संस्कार भारती इकाई की ओर से अध्यक्ष रमेश कूल मित्र कार्यकारी अध्यक्ष राकेश निर्मल गुप्त उपाध्यक्ष श्री राम कृपाल सिंह महामंत्री मोहन उपाध्याय सह मंत्री शिवकुमार राजपूत कोषाध्यक्ष शेषपाल बैस शाकोस अध्यक्ष डोम न दीक्षित मा तृशक्ति संयोजिका मंजुला शर्मा का दो दिवसीयप्रवास हुआ l दूसरे दिन प्रातः काल श्री राम प्रभात फेरी मुंगेली जिला इकाई की ओर से प्रभात फेरी का आयोजन किया गया इसमें संस्कार भारती के सदस्यों ने भाग लियाl तत्पश्चात प्रातः 7:00 बजे से 8:30 बजे तक सामूहिक रूप से मां महामाया रतनपुर की आरती में संस्कार भारती के सदस्य गण सामूहिक रूप से शामिल हुएl

द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में अनिल जोशी के द्वारा संस्कार भारती के सदस्यों को संबोधित करते हुए बताया कि संस्कार भारती में सर्वप्रथम संगठन तैयार करना मौलिकता के साथ संवर्धन करना प्रमाणिकता के साथ के साथ पोषण करना सम्मान प्राप्त करते हुए प्रतिष्ठा दिलाना एवं ( लोकाश्रय) जनसाधारण मे स्थापित करनाl ताकि अच्छे कलाकार प्राचीन कला की वापसी बिना फुहारता के गुणवत्ता युक्त कलाका प्रदर्शन ll नियमित साधना को बढ़ावा देनाl(सं स्कार भारती कलाकारों को राष्ट्रीयता की भावना हेतु विचार प्रदान करती हैl) विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में पश्चिमी सभ्यता के द्वारा के सौंपी गयी फुहरता एवं अश्लीलता में परिवर्तन की आवश्यकता हैl प्रकृति जन्य सुंदरता, नैसर्गिकता के साथ नैतिक मूल्यों की आवश्यकता हैl कलाकारों के विचारों में परिवर्तन के लिए हमें उन्हें पर्याप्त समय एवं मार्गदर्शन देने की आवश्यकता हैl
पहले भी प्राचीन काल में हास्य विनोद हुआ करते थेl लेकिन उनका स्वरूप वीभत्स नहीं होता था l घर, परिवार और समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ बैठकर के नाटक गम्मत लीला जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद एवं शिक्षा प्राप्त किया करते थेl आज पश्चिमी सभ्यता के दुष्परिणाम ने हमारे जीवन को इस कदर प्रभावित किया है कि इन सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अपने परिवार घर समाज के साथ देखना दूभर होता जा रहा हैl उन्हीं चीजों में वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है जिसे हम सभी मिलकर के परिवार की तरह दूर कर सकते हैंl अगले सत्र में निरंजन पडा महोदय के द्वारा साध्य साधक औ र साधन के माध्यम से किस प्रकार हम अपने प्राचीन गौरवशाली इतिहास को पा सकते हैं इस पर उन्होंने अपना विचार विस्तार पूर्वक रखेंl
उन्होंने बताया कि मनुष्य जीवन को कला एवं साहित्य के माध्यम से ही परिस्थित एवं उच्च कोटि का बनाया जा सकता हैl किसी भी देश की सभ्यता एवं संस्कृति उसके कला एवं साहित्य पर निर्भर करता हैl हमें अपना देश की कला एवं संस्कृति को फिर से गौरवशाली बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगाl एक-एक जनमानस के विचार में ,अपने अतीत का गौरव आना चाहिएl
यह कार्य एवं प्रक्रिया अल्पकालीन ना होकर के दीर्घकालिक होगी क्योंकि कम समय में किसी भी प्रकार के परिवर्तन की आशा रखता व्यर्थ है उसके लिए हमें दीर्घकालिक योजना बनाकर के कार्य करनी होगीl युवा शक्ति, मातृ शक्ति एवं समाजशक्ति को साथ लेकर चलनी होगी पूरे भारतवर्ष में जितने भी प्रकार के सामाजिक संस्था है उन सभी संस्थाओं में इन विचारों को पुष्पित एवं पल्लवित करना होगा जिसके लिए हम सभी मिलकर के सामूहिक प्रयास करेंगे इस प्रकार उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर कार्यक्रम चलाने की बात कही जिसे संस्कार भारती के सभी सदस्यों में स्वीकार किया वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआl संचालन अखिल भारतीय महामंत्री हेमंत महुलीकर द्वारा किया गयाl