…. आज के आधुनिक जमाने से रूबरू कराते पढ़े कवि विजय कुमार कोसले की दिलचस्प कविता- “माडर्न लड़की”
💥 कविता:: शीर्षक
माडर्न लड़की
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माडर्न लड़की की देखो चाल,
लचके कमर हैं चिकने गाल।
जींस पहन किये होंठ में लाली,
आंखें नशीली है जुल्फें काली।
लगें सावित्री हैं बात में ऐसे,
तेवर हो उनमें वीरांगना जैसे।
चेहरे में हया न आंख में शर्म,
लोक लाज छोड़ भूलें हैं धर्म।
माथ में बिंदिया न पैर में पायल,
नारी संस्कृति हो गई हो घायल।
रानी झांसी से अहमियत जोड़े,
प्रेमी के लिए मां बाप भी छोड़े।
नहीं करते कोई घर के काम,
सजते संवरते बस सुबह शाम।
साहित्यकार/ गीतकार/पत्रकार,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, लेन्ध्रा छोटे
सारंगढ़, छत्तीसगढ़।
मो -6267875476