न्यूजलाइन नेटवर्क , स्टेट ब्यूरो
रायपुर : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर और यूनिसेफ छत्तीसगढ़ ने 4 जुलाई 2024 को सामूहिक रूप से “वाटर, एनर्जी एंड क्लाइमेट: विजन फॉर छत्तीसगढ़” पर एकदिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया। छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा सचिव श्री प्रसन्ना आर. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे | इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ सरकार के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव श्री मोहम्मद कैसर अब्दुल हक़ और यूनिसेफ ओडिशा छत्तीसगढ़ के प्रमुख श्री विलियम हेनलोन जूनियर सम्मानीय अतिथि, सीएसवीटीयू भिलाई के कुलपति डॉ. एम. के. वर्मा एवं एमिटी यूनिवर्सिटी (छत्तीसगढ़) के प्रमुख एवं कुलपति डॉ. पीयूष कांत पांडे कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे। एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एन. वी. रमना राव ने सम्मेलन के संरक्षक की भूमिका निभाई। एनआईटी रायपुर के फैकल्टी डॉ. गोवर्धन भट्ट और डॉ. इश्तियाक अहमद, यूनिसेफ छत्तीसगढ़ से श्वेता पटनायक और अभिषेक सिंह आयोजक समिति के सदस्य रहे।
उद्घाटन समारोह में सभी अतिथियों ने क्रमशः जलवायु परिवर्तन, पेयजल की बढ़ती समस्याओं, ऊर्जा के संसाधनों के उचित उपयोग, पर विस्तार से अपने विचार रखे। डॉ. रमना राव ने सस्टेनेबल वाटर मैनेजमेंट, रेनवेटर हार्वेस्टिंग आदि को बढ़ावा देने की बात की एवं जैव ईंधन पर निर्भरता को कम करने पर जोर दिया। डॉ. वर्मा ने जैव ईंधन से होने वाले प्रदूषण के लिए सबको जागरूक किया और कहा कि हमें वाटर रिसोर्स मेनेजमेंट और सस्टेंबल एनर्जी के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम करने चाहिए। डॉ. पांडे ने छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति के बारे में बताते हुए कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के उपाय सुझाए। मोहम्मद कैसर ने बताया की आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों की निर्भरता हैंडपंप से टैप वाटर तक बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। विलियम हेनलोन ने सोलर पंप्स और इन संसाधनों के फायदे बताते हुए आने वाली पीढ़ियों को इसे अपनाने की अपील की। प्रसन्ना आर ने क्लाइमेट चेंज के बारे में बात करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है , इस क्षेत्र से जुड़े छोटे से लेकर बड़े हर क्षेत्र में काम करना आवश्यक है ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और विकास किया जा सके।
सम्मेलन में पानी, ऊर्जा और जलवायु विषयों पर क्रमशः तीन पैनल डिस्कशन सत्र आयोजित किए गए , जिसमें सरकारी , गैर सरकारी , शिक्षा और उद्योग जगत से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हुए और अपने विचार रखे |
पानी से संबंधित पैनल डिस्कशन सत्र में पीएचईडी विभाग की आशा लता गुप्ता ने विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में अभी तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध है लेकिन इसके संरक्षण की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ते विकास कार्यो के कारण जल संकट उभर रहा है और हर घर में नल के कनेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं । इंजीनियर जयंत कुमार बिसेन, कार्यकारी अभियंता और उप निदेशक, डेटा सेंटर, जल संसाधन विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा कि स्वच्छ जल और स्वच्छता सरकार की शीर्ष प्राथमिकताएं हैं | उन्होंने डिमांड और सप्लाई ध्यान केंद्रित करते हुए अमृत काल के लिए एक जल विजन दस्तावेज बनाने पर बात की।
“ऊर्जा” पर आधारित दूसरे सत्र में, आईआईएम रायपुर के प्रोफेसर शांतनु भद्रा ने पड़ोसी राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ के कम ऊर्जा उत्पादन को देखते हुए कोयला और तेल जैसे सीमित ऊर्जा संसाधनों के सावधानीपूर्वक उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया | हीरा ग्रुप के उपाध्यक्ष इंजीनियर कपिल चंदोईक ने राजस्थान की तुलना में छत्तीसगढ़ में ऊर्जा उत्पादन की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और ऊर्जा संरक्षण के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता की बात कही ।
“जलवायु” पर अंतिम सत्र में, डॉ. भूमिका दास, एलसीआईटी बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ में चल रहे जलवायु परिवर्तन पर प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने वनों की कटाई को महत्वपूर्ण भूमिका बताया। उन्होंने वनों की कटाई को रोकने के लिए सामुदायिक शिक्षा पर जोर दिया और जलवायु परिवर्तन पर युवाओं की भागीदारी की बात कही। यूनिसेफ की वाश अधिकारी बिरजा सतपथी ने कहा कि भारत दुनिया में तीसरा सबसे प्रदूषित देश है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन किस तरह से मौसम के पैटर्न और जल निकायों को प्रभावित कर रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ में जल, ऊर्जा और जलवायु क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देना और रणनीति बनाना रहा।