रिपोर्ट- डा.बीरेन्द्र सरोज आजमगढ
आजमगढ़ / 12 जुलाई को स्थानीय शारदा टाकीज के प्रांगण में एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ जिसे देखने के लिए शहर के तमाम दर्शक उमड़ पड़े भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ और सूत्रधार संस्थान आजमगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में कल 25 दिवसीय बाल नाट्य कार्यशाला के समापन अवसर पर अभिषेक पंडित कृत नाटक एक से भले दो का शानदार मंचन सम्पन्न हुआ नाटक एक बहुचर्चित लोक कथा पर आधारित हैं जिसने एक नेवला (विरादित्य मौर्य) जो कि मकई खा खा कर मोटा हो जाता हैं और बढ़ई (कृष्णा यादव) के पास अपनी देहं छिलवाने के लिए जाता हैं। बढ़ई के मना करने पर वो राजा (श्रेयांश यादव) के पास जाता हैं, इस तरह नेवला क्रमशः रानी (आशनी यादव) सांप (हर्ष मौर्या), बांस (ओम श्री) आग (अनुज यादव) पानी (राघवी पांडेय) के पास जाता हैं। सभी इसके सनकी मांग को खारिज कर देते हैं। तब (हाथी) उसकी मदद को तैयार हो जाता हैं। क्योंकि वो भी अपने (मोटापे) से परेशान हैं। उसके बाद सारे पात्र डर सहम जाते हैं। अंत में राजा बढ़ई को बुलाता हैं और डांटता हैं। तब बढ़ई कहता है कि वो नेवले को सबक सिखाने के लिए उसे मना किया नेवला और हाथी शर्मिंदा होते हैं इस प्रकार इस नाटक का सुखद अंत होता हैं नाटककार ने इस कथा में बनिए(समीर) के चरित्र को जोड़कर पूरी कहानी को नया कलेवर दिया उपयोग से अधिक उपभोग ना करने का संदेश दर्शकों को बहुत पसंद आया। इसके अतिरिक्त सूत्रधार की भूमिका में (अनादि अभिषेक) सिपाही की भूमिका में हर्ष सिंह व अर्श ने जबरदस्त अभिनय किया
नाटक का सबसे मजबूत पक्ष उसका संगीत रहा सूरज मिश्रा, चंदन और राज ने इसकी जिम्मेदारी निभाई प्रकाश परिकल्पना रंजीत कुमार और संदीप का रहा मंच विन्नयास सुग्रीव विश्वकर्मा ने किया कॉस्टियुम और आंचल तिवारी, मेकअप अर्जुन ने किया नाटक का निर्देशन ममता पंडित ने किया इस कार्यशाला का सहायक निर्देशन अंगद कश्यप ने किया अंत में बच्चों को मुख्य अतिथि फौजदार सिंह, प्रभु नारायण पाण्डेय ’प्रेमी ’ जर्नलिस्ट क्लब आजमगढ़ के अध्यक्ष आशुतोष दिवेदी ने प्रमाण पत्र वितरित किया इसी दरम्यान संत कबीर नगर से पधारी इंजीनियर कंप्यूटर साइंस चित्रकार सुष्मिता सिंह ’बक्की’ के पेंटिंग कौशल जिनके द्वारा इसरो के लिए भी कई चित्रकला की गई है जिसके लिए उन्हें इसरो अहमदाबाद डायरेक्टर के द्वारा सम्मानित भी किया गया है उनके चित्रों की एक प्रदर्शनी ” बियाह ” शीर्षक शारदा थियेटर के हाल में प्रदर्शित हुई जो लोगों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र बनी रही जिसकी उपास्थित सभी लोगो ने भूरि भूरि प्रशंसा की नोट पिछले एक दशक से ज्यादा समय से सूत्रधार की नाट्य प्रस्तुतियों शरदा थिएटर के सभागार में होती रही हैं जो कि अब आगे जारी नहीं रह पाएगी कारण की पुरानी इमारत बुनियाद को हटाकर वहां नई बुनियाद की शुरुआत होनी है शारदा अपने समय में जनपद में मनोरंजन का एक प्रमुख केंद्र होता था जो अब समय के साथ साथ एक नई इबारत लिखेगा।