जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर समाज में जाति की संख्या और हिस्सेदारी पर जवाब देते हुए कहा कि बिहार में कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि प्रशांत किशोर भी तो जाति की ही बात कर रहे हैं। मैं बिल्कुल ऐसी बात नहीं कर रहा हूं। बिहार के लोगों के बीच चर्चा है कि जिसकी जितनी संख्या है उस हिसाब से भागीदारी दी जाएगी। तो इस हिसाब से दूसरे दलों और प्रशांत किशोर में फर्क क्या है? फर्क ये है कि जन सुराज का मानना है कि हर समाज में काबिल लोग हैं और हर काबिल आदमी किसी न किसी समाज का है। अगर बांटने वाले की नीयत में खोट न हो तो ये व्यवस्था ये सामंजस्य बनाया जा सकता है। जिसकी जितनी संख्या है उसमें से उतने काबिल लोगों को मंच पर बैठाया जाए यही जन सुराज की परिकल्पना है।
किसी भी समाज से आने वाले लोगों की संख्या से ज्यादा न कम हिस्सेदारी मिले यह जन सुराज की पहली प्राथमिकता होगी। आप अपना हक लीजिए दूसरे की मत मारिये। बिहार में आकर कुछ लोग हमें कहते हैं कि यादव जी लोग हमें वोट नहीं देंगे। वोट दे या न दें अगर समाज में 15 प्रतिशत लोग यादव समाज के हैं तो ये जन सुराज की जिम्मेदारी है कि इसको बनाने वालों में इसकी पदाधिकारियों में इसको चलाने वालों में इसके टिकट में 15 प्रतिशत यादव समाज की भागीदारी भी होनी चाहिए। इस भावना को हम सब को आत्मसात करना होगा।