“कलकत्ता हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: पुरुषों को भी मिल सकती है 2 साल की पैटरनिटी लीव, जानिए क्यों!”

पुरुषों को भी महिलाओं की तरह 2 साल की पितृत्व अवकाश मिलनी चाहिए, ऐसा कहना है कलकत्ता हाईकोर्ट का। कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य सरकार पुरुष और महिला कर्मचारियों के बीच भेदभाव समाप्त करे और दोनों के साथ समान व्यवहार करे।

 राज्य सरकार को निर्णय लेने के लिए 3 महीने का समय

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह समानता और लिंग भेद के संदर्भ में 3 महीने के भीतर इस मुद्दे पर निर्णय ले। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि हमारा संविधान भी समानता की बात करता है, इसलिए सरकार को आगे आकर इसे सुनिश्चित करना चाहिए। बच्चों की देखभाल के लिए सिर्फ महिलाओं को ही जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए; दोनों माता-पिता बराबर के जिम्मेदार हैं।

 वर्तमान स्थिति और याचिका का मामला

वर्तमान में, पश्चिम बंगाल में पुरुष कर्मचारियों को 30 दिन और महिला कर्मचारियों को 730 दिनों तक के चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान है। यह निर्देश कोलकाता हाईकोर्ट ने अबू रेहान नामक एक सरकारी स्कूल के शिक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

अबू रेहान, जो कि नॉर्थ 24 परगना के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं, ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद अपनी दो छोटी बेटियों की देखभाल के लिए चाइल्ड केयर लीव की मांग की थी। उन्होंने अदालत से कहा कि उनके परिवार में बच्चों की देखभाल के लिए उनके अलावा कोई नहीं है।

 अदालत में हुई सुनवाई

रेहान के वकील शमीम अहमद ने तर्क दिया कि 2016 में राज्य सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार, उनके मुवक्किल को केवल 30 दिनों की छुट्टी मिल सकती है, लेकिन यह उनके लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने बताया कि 2015 के राज्य सरकार के नियमों के तहत महिला कर्मचारियों को 730 दिन की छुट्टी दी जाती है, और रेहान को भी समान अवधि की छुट्टी मिलनी चाहिए, क्योंकि उनकी पत्नी अब नहीं हैं। इस स्थिति में राज्य सरकार के नियम असमानता और लिंग भेद को बढ़ावा देते हैं।

राज्य सरकार के वकील ने अदालत में कहा कि फिलहाल राज्य में महिला कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभ पुरुष कर्मचारियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन याचिकाकर्ता की मांग पर विचार किया जा रहा है।

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