पारसनाथ मंदिर इंद्रा नगर में हो व्यक्ति के कशायो का क्षय, बसु- विज्ञा-समिति

करतार सिंह पौनिया ब्यूरो चीफ फिरोजाबाद

टूण्डला – पारसनाथ मंदिर इंद्रा नगर में हो व्यक्ति के कशायो का क्षय, बसु- विज्ञा-समिति, प.पू.उपाध्याय श्री विज्ञानंद महाराज, मुनि श्री पुण्यानंद मुनि श्री धैर्यानंद जी का चातुर्मास बड़े उत्साह उमंग उल्लास से चल रहा है सुबह प्रवचन देते हुए उपाध्याय श्री ने कहा कि जिस मनुष्य पर्याय से हम धर्मार्थमा जीव बनकर तीर्थंकर का योग कर सकते हैं, सागर में एक बूंद के समान मनुष्य की संख्या नगण्य है विषय कषाय जीवन में व्यक्ति को हमेशा परेशान करते हैं, आत्म कल्याण के मार्ग पर प्रशस्त व्यक्ति खुद का कल्याण तो करता ही है दूसरो के तारीफ योग्य बनता है, इस मनुष्य पर्याय को धारण करके व्यक्ति संयम का पालन करता है धर्म का अनुसरण करता है स्वाध्याय करता है तो वह जीवंत है, अपनी शक्ति जितनी विषय भोगों में लगाते हो उतनी शक्ति अपने आत्मा के कल्याण में लगाओगे तो आत्मा निर्मल बनाओगी, अपनी आत्मा का हित करो, चाह के अनुसार राह भी होनी चाहिए जैसे स्वर्ग जाने के चाह है तो स्वर्ग जाने की राह कर्म के योग भी प्रशस्त करनी चाहिए, राग द्वेष की प्रवत्ति जहां पर है वहीं पाप का उत्सर्जन है, पाप पर्याय में आता है जिसका नाम है संगलेशता, मन्दिर में आने के लिए चरण चाहिए अगर आप द्रव्य से मुनि बन गए हैं तो निंद पाप से रहित होते हैं, शास्त्र को सहृदय अपने जीवन में अंतरात्मा में उतारना ही स्वाध्याय है, सामायक करना भी जीवन को आधार प्रदान करता है, चरणामियोग का अर्थ ग्रहस्त का आचरण कैसा होना चाहिए कैसी उसकी प्रवत्ति होनी चाहिए जिस स्वाध्याय से अपने आत्मा की हित का आचरण आ जाए वही सम्यक ज्ञान है, अपनी आत्मा को विषय कषाय से बचाने के लिए जो अध्ययन कर रहे हो वही स्वाध्याय है, अपने अन्दर संयम को धारण करो विचारो का संयम, आत्मा का संयम रखो, इसके उपरांत पाप कर्मों से बच कर रहो, संयम के बिना सिद्धि और समाधि होने वाली नही है, स्वाध्याय, संयम, तप, त्याग को जीवन जीने का आधार बनाओ इनको अपने जीवन में उतारो, शक्ति है उतना धर्म ध्यान करना ही चाहिए, जहां से आकुलता आ रही हैं उसे वही छोड़ दो, दान चार प्रकार के होते हैं आहार दान, औषधी दान, ज्ञान दान,अभय दान, श्रावक को सप्तव्यसन का त्यागी होना चाहिए, मुनि महाराज का आचरण द्रव्य के प्रति समर्पण होना, चारित्र की उत्पत्ति, चारित्र की वृद्धि, चारित्र की रक्षा ही चरणामियोग के लक्षण है, पाप का परिणाम तो आपके ही पास आएगा इसलिये अपने पाप कर्मों के क्षय के लिए स्वाध्याय, धर्म का अनुसरण करते रहो, कसाय की सल्लेखना कशाय की मन्दता ही धर्मात्मा व्यक्ति का योग है, पर द्रव्यों से द्रव्यानियोग का दीपक से सात तत्व का ज्ञान कराकर जीव अजीव जिसके आपके लक्ष्य की उत्पत्ति हो द्रव्य सुख का सम्बंध भाव से है, इस मौके पर चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष बसन्त जैन, कमलेश जैन कोल्ड, अनिल जैन राजू, विनोद जैन पंकज जैन सुधीर जैन, संजीव जैन, जिग्नेश जैन, महेश जैन, नरेंद्र जैन विमल जैन बॉबी, रविन्द्र जैन मोटे लाला, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भाजपा अल्प संख्यक मोर्चा सचिन जैन, गोपाल, अंकित, प्रिंस जैन, सुमित जैन, आशु जैन समस्त जैन समाज मौजूद रहा।

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