हरियाणा के जींद जिले के उचाना में रविवार को भारतीय किसान नौजवान यूनियन के तत्वावधान में एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में देश के कई प्रमुख किसान नेताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंढेर, और अभिमन्यु कोहाड़ जैसे प्रमुख किसान नेता शामिल थे। महापंचायत में किसानों ने मिलकर चुनावी राजनीति से दूरी बनाए रखने का एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया।
महापंचायत का उद्देश्य और निर्णय:
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सभा को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि किसान आंदोलन का मुख्य उद्देश्य किसानों के हितों को संरक्षित करना और उनके लिए न्याय सुनिश्चित करना है, न कि चुनावी राजनीति में शामिल होना। उन्होंने कहा, “हमारा आंदोलन किसी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है, और न ही हम किसी पार्टी का समर्थन या विरोध करेंगे। हमारा लक्ष्य आंदोलन को और मजबूत करना है ताकि सरकार की विफलताओं और किसानों के खिलाफ लिए गए गलत निर्णयों को आम जनता के सामने लाया जा सके।”
डल्लेवाल ने इस बात पर जोर दिया कि किसान आंदोलन केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों की आवाज़ है। उन्होंने घोषणा की कि अगली किसान महापंचायत 22 सितंबर को पिपली, कुरुक्षेत्र में आयोजित की जाएगी, और इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए हर क्षेत्र में महापंचायतें आयोजित की जा रही हैं।
सरकार के खिलाफ नाराजगी:
महापंचायत के दौरान किसान नेताओं ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने किसानों को इस महापंचायत में शामिल होने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया। कई जगहों पर सीमेंट के अवरोधक लगाकर किसानों के आने-जाने में बाधा उत्पन्न की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गुरुद्वारा प्रबंधकों पर दबाव डालकर किसानों के लिए भोजन तैयार न करने का निर्देश दिया गया था, जोकि एक बेहद निंदनीय और शर्मनाक कदम है।
अभिमन्यु कोहाड़ का बयान:
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने अपने संबोधन में किसानों और मजदूरों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम किसी भी राजनीतिक दल को वोट देने की अपील नहीं करते, लेकिन जब आप वोट देने जाएं, तो यह जरूर याद रखें कि पिछले दस वर्षों में किसानों और मजदूरों के साथ जो अन्याय और अत्याचार हुए हैं, उन्हें न भूलें।” उन्होंने कहा कि किसानों को अपने अधिकारों के लिए संगठित होना होगा और अपने वोट का सही उपयोग करना होगा ताकि भविष्य में उनके खिलाफ कोई अन्याय न हो।
महापंचायत का बड़ा संदेश:
किसान महापंचायत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि किसानों का संघर्ष सिर्फ आर्थिक या सामाजिक मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके अस्तित्व की लड़ाई है। इस महापंचायत का उद्देश्य राजनीतिक दलों को यह संदेश देना था कि किसान अपने अधिकारों के लिए हमेशा सजग रहेंगे और अपनी लड़ाई को किसी भी राजनीतिक एजेंडा के तहत नहीं चलाएंगे।
इस महापंचायत ने यह भी दिखाया कि किसान आंदोलन अब एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले रहा है और यह पूरे देश के किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए कार्यरत है।