खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के मामले में अमेरिका की एक अदालत ने भारत सरकार को समन जारी किया है। इस घटनाक्रम के बाद भारत सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे पूरी तरह से अस्वीकार्य और गलत ठहराया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री से जब न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी जिला न्यायालय द्वारा भेजे गए इस समन के बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह समन पूरी तरह से अनुचित, आधारहीन और भारतीय संप्रभुता के खिलाफ है।
पन्नू: भारत द्वारा घोषित आतंकवादी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा से पहले, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में इस मुद्दे पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया हुआ है, अमेरिकी और कनाडाई नागरिकता का धारक था। उन्होंने यह भी बताया कि पन्नू का इतिहास विवादों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़ा रहा है। पन्नू जिस संगठन का प्रतिनिधित्व करता था, वह एक गैरकानूनी संगठन है जिसे भारत ने पहले ही प्रतिबंधित कर रखा है। यह संगठन भारत की अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली गतिविधियों में शामिल रहा है।
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता
विक्रम मिस्री ने यह भी बताया कि पन्नू और उसका संगठन 1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित किया गया था। पन्नू पर आरोप है कि उसने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से राष्ट्रविरोधी और विध्वंसक गतिविधियों को बढ़ावा दिया था। पन्नू की कार्रवाइयों का मुख्य उद्देश्य भारत के खिलाफ अस्थिरता फैलाना और अलगाववादी एजेंडा को बढ़ावा देना था, जिसके लिए उसने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल किया।
पन्नू की दोहरी नागरिकता और उसकी गतिविधियां
गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास अमेरिकी और कनाडाई नागरिकता थी, और इसके बावजूद वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा। वह भारत में सिख अलगाववादी आंदोलन का प्रमुख चेहरा था, जिसका मकसद भारत के पंजाब क्षेत्र को खालिस्तान के रूप में अलग करना था। नवंबर में, अमेरिकी न्याय विभाग ने एक साजिश का खुलासा किया, जिसमें पन्नू कथित तौर पर न्यूयॉर्क में एक नागरिक की हत्या की साजिश में शामिल था। यह साजिश अमेरिका में सिख अलगाववादी आंदोलन के नेताओं और समर्थकों के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तार भारत से जुड़े हो सकते हैं।
उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि भारत इस मामले में पूरी तरह स्पष्ट है, और इस घटना के बाद भी अपने रुख से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले साल नवंबर में अमेरिकी सरकार द्वारा उठाई गई सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया था। यह समिति अमेरिका द्वारा दी गई सूचनाओं की गंभीरता से जांच कर रही है, और भारत इस प्रकार के सुरक्षा मुद्दों पर किसी भी तरह की ढील नहीं देता।
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि ऐसे किसी भी इनपुट को भारत गंभीरता से लेता है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को प्रभावित कर सकता है। संबंधित विभाग पहले से ही इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं और आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं। सरकार का मानना है कि इस प्रकार के मामले न केवल भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को प्रभावित करते हैं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा पर भी असर डाल सकते हैं, इसलिए इस मामले की जांच को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।