एजाज़ अहमद, ब्यूरो चीफ न्यूज लाईन नेटवर्क भदोही।
कालीन नगरी भदोही पूरी तरह ध्वस्त होने की कगार पर है, कालीन संबंधित सामने की बिक्री नहीं के बराबर हो चुकी है। गरीब मजदूर और मीडियम तबका भूखों मरने की कगार पर खड़ा है। रोजमर्रा की दूकानों में जैसे किराना की दुकान कपड़ों की दुकान हार्डवेयर तथा फर्नीचर की दुकान खाने पीने और चाय की दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
सड़कों पर इंसान नही लोग काम ढूढने वाले लोग रोबोट की तरह चल रहे है और अपने घर और परिवार की जरूरतों को कैसे पूरा करें इसी धुन में चले जा रहे है। हम यह जिंदगी जी रहे है या की मिली जिंदगी को किसी तरह बिता रहे है, समझ में ही नहीं आ रहा है।
सब्जियां तो आसमान छू रही है। लोग अपने पुराने दिनों को याद कर रोने लगते है कि वो भी क्या समय था जब एक कमाता था और दस खाते थे। आज दस कमाते है और एक मां बाप को नही खिला पाते है।
जो लोग बैंको से पैसा कर्ज लिए हुए है, सही समय पर किस्त नही जमा करने के कारण बैंको ने अपना तांडव शुरू कर दिया है। बेइज्जत होने की दर से लोग घरों को छोड़ दूसरे प्रदेशों में शरण लेने को मजबूर है।
ऐसा लगता है की लोग सिर्फ राजनीति के लिए ही पैदा हुए है, जहां भी देखो लोग राजनीतिक उतार चढ़ाव पर बाते करते नजर आएंगे टीवी चैनल सोसल मीडिया न्यूज पेपर ने तो लोगों की मत ही मार दी है। किसी घटना को ये न्यूज चैनल इस तरह से जनता के सामने पेश करते है की जनता डर जाती है देश के बाहर की न्यूज़ ऐसा दिखाते है की जैसे सभी युद्ध में शामिल देश कल खतम हो जायेंगे इससे व्यापार पर बूरा असर ये पड़ता है की लोग बाहर देशों में नौकरी हो या व्यापार डर कर दूरी बना लेते है और उस काम को करते ही नहीं ।