दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर महाराजपुर के नजदीक स्थित प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास एक बड़ा हादसा टल गया, जब ट्रैक पर रखा गया एक छोटा गैस सिलेंडर समय रहते देख लिया गया। यह घटना तब घटी जब कानपुर से प्रयागराज की ओर जा रही मालगाड़ी लूप लाइन पर आ रही थी। लोको पायलट की सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया के चलते सिलेंडर के कारण कोई दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन यह घटना सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर चिंता का विषय बन गई है। यह ट्रैक पर ट्रेन पलटाने की साजिश थी, जिसे नाकाम कर दिया गया।
घटना का पूरा विवरण:
सुबह करीब 5:50 बजे, मालगाड़ी प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास लूप लाइन पर आ रही थी। ट्रेन के लोको पायलट देव आनंद गुप्ता और सहायक लोको पायलट सीबी सिंह ने सिग्नल से कुछ दूरी पर ट्रैक पर एक छोटा गैस सिलेंडर रखा देखा। उन्होंने तुरंत स्थिति को भांपते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगाई और ट्रेन को सिलेंडर से पहले रोक दिया। इस तरह उनकी सतर्कता ने एक बड़ी दुर्घटना को टाल दिया।
ट्रैक पर रखा सिलेंडर करीब 5 लीटर क्षमता का था और खाली था, जिसे ट्रेन के गुजरने से पहले हटाया गया। इस घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और जीआरपी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। रेलवे के आईओडब्ल्यू विभाग की टीम ने सिलेंडर की जांच की और उसे ट्रैक से हटा दिया।
सुरक्षा की गंभीर चुनौती:
यह घटना एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है, क्योंकि इस तरह से ट्रैक पर बाधाएं रखना यात्रियों और रेलवे की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। हाल के दिनों में यह तीसरी घटना है, जब कानपुर क्षेत्र में इस तरह से ट्रेनों को पलटाने की कोशिश की गई है। कुछ दिन पहले ही कानपुर-कासगंज रेल मार्ग पर इसी प्रकार गैस सिलेंडर रखकर ट्रेन पलटाने का प्रयास किया गया था। इसके अलावा, पनकी औद्योगिक क्षेत्र के पास साबरमती एक्सप्रेस की 20 बोगियां और इंजन पटरी से उतर गए थे। इन सभी घटनाओं ने रेलवे सुरक्षा अधिकारियों को सतर्क कर दिया है, और अब हर घटना की गहन जांच की जा रही है।
एक महीने में तीसरी साजिश:
एक महीने के भीतर इस तरह की यह तीसरी घटना सामने आई है, जो रेलवे की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हर बार, लोको पायलट की सतर्कता और त्वरित निर्णय ने हादसे को टाला है। लोको पायलट का दावा है कि कई बार जानबूझकर ट्रैक पर लोहे की पटरी के टुकड़े या गैस सिलेंडर रखकर ट्रेन पलटाने की साजिशें की गई हैं।
पिछली घटनाओं का संक्षिप्त विवरण:
- कानपुर-कासगंज रेल मार्ग: कुछ दिन पहले इसी क्षेत्र में गैस सिलेंडर रखकर ट्रेन पलटाने की कोशिश की गई थी। इस घटना में भी समय पर जानकारी मिल जाने से हादसा टल गया।
- पनकी औद्योगिक क्षेत्र: यहां साबरमती एक्सप्रेस का इंजन और 20 बोगियां पटरी से उतर गई थीं। इस घटना में बड़ा हादसा हो सकता था, लेकिन समय रहते कदम उठाए गए।
जीआरपी की प्रारंभिक जांच और आगे की कार्रवाई:
जीआरपी इंस्पेक्टर समेत रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और मामले की जांच कर रहे हैं। प्रारंभिक जांच में इसे शरारतपूर्ण कृत्य माना जा रहा है, लेकिन इसे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता। चूंकि यह क्षेत्र घनी बस्ती के पास है, इसलिए पुलिस स्थानीय निवासियों से पूछताछ कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि सिलेंडर वहां कैसे पहुंचा।
मौके पर स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) की टीम भी पहुंच गई है और यह जांच की जा रही है कि कहीं यह किसी संगठित समूह की साजिश तो नहीं है। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि यह घटना किसी आपराधिक मानसिकता के लोगों द्वारा अंजाम दी गई हो सकती है, जो ट्रेन हादसे के जरिए नुकसान पहुंचाना चाहते थे।
रेलवे अधिकारियों की प्रतिक्रिया:
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोको पायलट देव आनंद गुप्ता और उनके सहायक सीबी सिंह की सतर्कता ने बड़ी दुर्घटना को टाल दिया। उनकी तुरंत की गई कार्रवाई से न केवल मालगाड़ी सुरक्षित रही, बल्कि संभावित जान-माल के नुकसान से भी बचा गया। अधिकारी ने कहा कि रेलवे में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
रेलवे विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि ट्रैक की नियमित जांच-पड़ताल की जाए और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके, इसके लिए सुरक्षा व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जाए।
घटना से उपजे सवाल:
इस घटना ने रेलवे की सुरक्षा के कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ट्रैक पर गैस सिलेंडर रखे जाने से लेकर अन्य जानलेवा हरकतें साफ तौर पर दर्शाती हैं कि ट्रेनों की सुरक्षा को चुनौती दी जा रही है। रेलवे पुलिस और सुरक्षा बल को अब और सतर्कता से काम करना होगा ताकि इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने से पहले ही रोका जा सके।
रेलवे अधिकारियों का मानना है कि ट्रैक पर गैस सिलेंडर या अन्य वस्तुएं रखकर ट्रेनों को दुर्घटनाग्रस्त करने की कोशिशें न केवल यात्रियों की जान को खतरे में डालती हैं, बल्कि मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों की समय-सारणी को भी प्रभावित करती हैं।
इस घटना से स्पष्ट है कि रेलवे सुरक्षा को चुनौती देने वाले तत्व सक्रिय हो गए हैं, और उनकी हरकतों से जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। समय रहते लोको पायलट की सतर्कता ने इस बार एक बड़ा हादसा टाल दिया, लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे और सुरक्षा बलों को और अधिक सक्रिय होना होगा।