ओबरा आरती चित्र मंदिर प्रांगण में श्री राम कथा के छठवें दिन सीताराम विवाह प्रसंग से भाव विभोर हुए श्रद्धालु धूमधाम से जनकपुरी पहुंची बारात।

श्याम जी पाठक संवाददाता दैनिक न्यूज़ लाइन नेटवर्क ओबरा सोनभद्र

ओबरा सोनभद्र :- ओबरा श्री राम कथा के छठवें दिन कथा प्रारंभ होने से पहले वैदिक मंत्र उपचार के साथ मुख्य यजमान देवेंद्र केसरी ने सपत्नीक व्यास पीठ एवं व्यास के पूरे विधि विधान से पूजा की। पूजन पूर्ण होने के पश्चात पुज्य श्री राजन जी महाराज ने अपने मुखारविंद से पंडाल में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के समक्ष श्री राम कथा के पंचम दिन सीताराम विवाह प्रसंग सुना कर श्री राम कथा के पांचवें दिन पूज्य महाराज जी ने भगवान श्री राम द्वारा धनुष भंग परशुराम लक्ष्मण संवाद एवं श्री राम विवाह के रोचक प्रसंगों से श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने बताया की कथा का स्मरण करने से ही हर व्यथा मिट जाती है और राम विवाह एक आदर्श विवाह है।

तुलसीदास ने राजा दशरथ ,राजा जनक ,राम और सीता की तुलना करते हुए बताया है कि ऐसा समधी ऐसा नगर ऐसा दूल्हा ऐसी दुल्हन की तीनों लोक में कोई बराबरी नहीं हो सकती। पूज्य महाराज जी ने कहा कि विश्वामित्र ने जब पूरे उत्तर भारत को दोस्त जनों से श्री राम द्वारा मुक्त कर लिया एवं सभी ऋषि वैज्ञानिकों के यज्ञ सुचारू रूप से होने लगे तो विश्वास निमित्र श्री राम को जनकपुरी की ओर ले गए जहां पर सीता स्वयंवर चल रहा था बताते हुए कहा कि राजा जनक ने अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए एक प्रतिज्ञा रखी है जो शिव के पीनाक को खण्डन करेगा। वह सीता से नाता जोड़ेगा उस धनुष को तोड़ने के लिए कई राजा व राजकुमार पहुंचे लेकिन सभी विफल रहे। ऐसे में राजा जनक ने भरी सभा में कहा कि आज धरती वीरों से विहीन हो गई है। सभी अपने घर जाएं। इसके बाद लक्ष्मण को क्रोध आया और उन्होंने कहा कि अगर श्री राम की आज्ञा हो तो धनुष क्या पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह उठा लूं।

पूज्य महाराज जी ने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है व राम ज्ञान का प्रतीक है। जब अहंकारी व्यक्ति को ज्ञान का स्पर्श होता है तब अहंकार का नाश हो जाता है। श्री राम में वह अहंकार नहीं था। और श्री राम ने विश्वामित्र किया आज्ञा पाकर धनुष तोड़ दिया। जिसका अर्थ पूरे विश्व में दुष्टों को सावधान करना था कि अब कोई चाहे कितना भी शक्तिशाली राक्षस वृत्ति का व्यक्ति हो वह जीवित नहीं बचेगा।

धनुष टूटने का पता चलने पर परशुराम का स्वयंवर सभा में आना एवं श्री राम लक्ष्मण से तर्क वितर्क करके संतुष्ट होना की श्रीराम पूरे विश्व का कल्याण करने में सक्षम है। समाज की जो जिम्मेदारियां परशुराम ने ले रखी थी जिससे की दुष्ट राजाओं को भय था। परशुराम ने वह सामाजिक जिम्मेदारी श्री राम को सौंप दी। एवं स्वयं अपने आराध्य के भक्ति में लीन हो गए कथा व्यास पूज्य राजन जी महाराज ने आगे कहा कि भगवान कण कण में विराजमान है।

अगर हम समाज में दीन दुखियों वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए उसे संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किए । इसी कारण से श्री राम भगवान कहलाए। उसी प्रकार आज भी समाज में व्याप्त बुराइयों को अच्छे लोग संगठित होकर ही दूर कर सकते हैं। कथा प्रसंग को आगे बढ़ते हुए महाराज जी ने कहा कि राजा जनक ने राजा दशरथ को बारात लाने का न्यौता भेजा एवं राजा दशरथ नाचते गाते बारातियों सहित जनकपुरी पहुंचे।

बारात में शामिल उपस्थित श्रोता जनसमूह खूब भावपूर्ण नाचे गए कथा में सीता स्वयंवर का मनोरम वर्णन किया गया। आगे श्री राम कथा में मां सीता की विदाई हुई उन्होंने कहा कि जनकपुर से जब सीता जी की विदाई हुई तब उनके माता-पिता उन्हें ससुराल में कैसे रहना है इसकी सिख दिए। ऐसे ही प्रत्येक माता पिता को अपनी पुत्री के विवाह के समय ऐसी ही सीख देनी चाहिए। जिससे ससुराल वह मायका दोनों कल कलंकित ना हो। माता सीता ने पूरे जीवन में अपने माता-पिता की सीख का पालन किया।

वही इस राम कथा कार्यक्रम का संचालन राजीव वैश्य द्वारा किया गया। वही इस कार्यक्रम में श्री राम कथा समिति के अध्यक्ष दीनदयाल केसरी, जगमंदर अग्रवाल, विनोद केसरी, जयशंकर भारद्वाज, बम भोले जी, अशोक सिंह, विशाल केसरी, वीरेंद्र श्रीवास्तव, रविंदर गर्ग, संजीव मालवीय ,राजा राम सिंह, समीर माली ,अनुराग श्रीवास्तव, अरविंद सोनी, विवेक मालवीय ,पुष्पराज पाण्डेय, राकेश यादव के साथ मातृशक्ति नीता चौबे, उषा शर्मा ,ममता श्रीवास्तव, पुष्पा दुबे, सरिता सिंह, रिंकी यादव, संजू श्रीवास्तव, बिना पांडे, सुषमा कुशवाह, रितिका प्रजापति, अनीता चौरसिया, संगीता सिंह, सृष्ठी जायसवाल, हर्षिता, अर्पिता, रागनी ,रेखा ,गीता, पूजा के साथ कार्यकारिणी के सभी सदस्य व हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

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