बिना अनुमति मिशनरी कर रहे ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार : आदिवासी इलाके बन रहे धर्मांतरण का हॉट स्पॉट

इसी तरह चलता रहा धर्मांतरण का खेल तो आदिवासी व आदिवासी संस्कृति विलुप्त हो जाएगी

न्यूजलाइन नेटवर्क, बस्तर संभाग ब्यूरो

रिपोर्ट – बालकराम यादव

सुकमा : जिले के कोण्टा नगर के बीच चौराहा पर ईसाई धर्म के कुछ लोगो द्वारा बिना परमिशन के माइक लगाकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करना पड़ा महँगा कोण्टा हिंदुओ द्वारा उक्त कृत्य पर रोक लगाकर स्थानीय पुलिस की दी सूचना आंधप्रदेश के काकीनाडा से आये हुए ईसाई धर्म के लोगो को बगैर इजाजत इस तरह अपने धर्म प्रचार पर हिन्दु सेनाओं ने जताया कडा विरोध करते हुए प्रचार करने वाले को खदेड़ गया।

आदिवासियों को धर्मांतरण को समझने की जरूरत है आईए समझते हैं बस्तर में कैसे खेल चल रहा है।
बना धर्मांतरण के लिए ईसाई समुदाय का हॉट स्पॉट, हो सकता है झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों जैसी स्थिति
25 से 30 प्रतिशत तक आदिवासी हो चुके हैं धर्मांतरित

धर्मांतरण से आदिवासियों के अस्तित्व पर गंभीर संकट पैदा हो गया है। हालात यह हैं कि अगले दो दशक में बस्तर की पूरी डेमोग्राफी ही बदल जाएगी। इससे यहां के हालात मिजोरम, नागालैंड, मेघालय जैसे हो जाएंगे। इस बात की जरा भी चिंता राजनैतिक दलों से जुड़े यहां के बड़े आदिवासी नेताओं को नहीं हैं। वोट बैंक की राजनीति में आदिवासी अस्मिता से खुलकर खिलवाड़ होने दिया जा रहा है। हद तो तब हो जाती है, जब बस्तर के एक बड़े आदिवासी कांग्रेस नेता विधानसभा में दावे के साथ कह देते हैं कि बस्तर में एक भी धर्मांतरण नहीं हुआ है।

यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि आंकड़े हकीकत बयां कर रहे हैं। वैसे तो पूरे बस्तर संभाग के सातों जिले धर्मांतरण की जद में आ चुके हैं, मगर यहां हम सिर्फ बस्तर जिले और का ही जिक्र कर रहे हैं। ज्ञात हो कि सुकमा जिले का एक ग्राम पंचायत मुरतोंण्डा के एक पारा कमलापदर मे 30-35 मकान है वहां आदिवासियों ने पूरे लोग ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है और चर्च भी निर्माण हो चूंकि है
प्रत्येक रविवार भारी संख्या में आदिवासी इक्ट्ठा होकर प्रार्थना की जाती है ऐसे में सुकमा जिला धर्मांतरण में पिछे नहीं है।

धर्मांतरण का यह खेल बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगर राज्य और केंद्र सरकारों तथा आदिवासी नेताओं ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई तो आने वाले 25-30 साल के भीतर बस्तर के हालात पूर्वोत्तर के राज्य नागालैंड, मिजोरम, मेघालय जैसे हो जाएंगे। यहां के आदिवासी अपनी जमीन, अपनी कला संस्कृति और पूजा पद्धति से पूरी तरह वंचित कर दिए जाएंगे।

धर्मपरिवर्तन करने वाले का आरक्षण खत्म होना चाहिए क्योंकि आदिवासी के नाम से आरक्षण लिए हुए है और आदिवासी परम्परा पूजा पद्धति को भूल चुके हैं।

बस्तर में धर्मांतरण को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होती आई है। धर्म परिवर्तन कर चुके आदिवासी और मूल आदिवासियों के बीच शादी विवाह और मृत्यु के कार्यक्रम में विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है।

धर्मपरिवर्तन करने वाले नियम अनुसार धर्मपरिवर्तन किया या नहीं सर्वे की जरूरत

जिले में कितनी संख्या में लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, यह नियमानुसार है या नहीं इस पर सरकार और प्रशासन को विशेष ध्यान देना होगा और जो लोग ऐसे आवेदन दे रहे हैं, उनसे मांग की जानी चाहिए कि आपकी संख्या कितनी है कि,कितने लोगों ने धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म स्वीकार किया है, उन्होंने धर्म परिवर्तन नियमानुसार किया है या नहीं, उनके दस्तावेज प्रस्तुत किया जाएं। इससे सही आंकड़े भी सामने आ सकते हैं।

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