दुनिया का सबसे बड़ा जीवित हिंदू मंदिर, जिसकी कहानियाँ आपको चौंका देंगी!

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर: एक दिव्य धरोहर और भव्य द्रविड़ स्थापत्य कला का प्रतीक

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु के श्रीरंगम में स्थित, भारत के सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान रंगनाथ को समर्पित है, जो भगवान विष्णु का शेषनाग पर विराजमान रूप है। यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह विश्व का सबसे बड़ा सक्रिय हिंदू मंदिर परिसर है और अपने विशाल क्षेत्र, भव्य स्थापत्य और आध्यात्मिक महत्व के कारण विश्व प्रसिद्ध है।

ऐतिहासिक महत्व

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है।

पौराणिक कथा:

मंदिर की स्थापना से जुड़ी कथा के अनुसार, भगवान विष्णु का यह रूप सबसे पहले भगवान ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग में पूजा गया था। त्रेतायुग में, भगवान राम ने इस मूर्ति को अपने वफादार भक्त और रावण के भाई विभीषण को भेंट किया था। जब विभीषण इसे लंका ले जा रहे थे, तब उन्होंने श्रीरंगम में इसे रखा, और यह मूर्ति वहीं स्थिर हो गई। इसे भगवान की इच्छा मानकर मंदिर का निर्माण किया गया।

ऐतिहासिक विवरण:

मंदिर का उल्लेख प्राचीन तमिल साहित्य और संगम युग के ग्रंथों में मिलता है। चोल, पांड्य और विजयनगर राजवंशों ने इस मंदिर के निर्माण और विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 14वीं शताब्दी में, मंदिर पर इस्लामी आक्रमण हुआ और इसे काफी नुकसान पहुंचा, लेकिन बाद में इसे पुनर्निर्मित किया गया।

भव्य स्थापत्य कला

मंदिर द्रविड़ स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह लगभग 156 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें कई अद्वितीय विशेषताएँ शामिल हैं:

1. गोपुरम (मंदिर के विशाल द्वार):

मंदिर में 21 गोपुरम हैं, जिनमें राजगोपुरम सबसे ऊंचा है, जिसकी ऊंचाई 236 फीट है। यह एशिया के सबसे ऊंचे मंदिर द्वारों में से एक है। गोपुरम पर अद्भुत नक्काशी की गई है, जो हिंदू धर्म की कथाओं और देवताओं को दर्शाती है।

2. प्राकारम (घेराव):

मंदिर में सात परिक्रमा पथ हैं, जिन्हें प्राकारम कहा जाता है। ये सात परिक्रमा पथ आत्मा की सात अवस्थाओं का प्रतीक हैं। प्रत्येक प्राकारम में स्तंभों वाले गलियारे, छोटे मंदिर और बगीचे हैं।

3. गर्भगृह (मुख्य मंदिर):

गर्भगृह में भगवान रंगनाथ की मूर्ति विराजमान है, जो शेषनाग आदि शेष पर लेटे हुए हैं। यह मूर्ति रत्नों और फूलों से सजाई जाती है, जिससे यह दिव्यता का अद्भुत अनुभव कराती है।

4. सहस्र स्तंभ मंडप:

यह एक विशाल हॉल है, जिसमें 1000 खूबसूरती से तराशे गए ग्रेनाइट के स्तंभ हैं। ये स्तंभ विभिन्न देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं के दृश्यों को चित्रित करते हैं।

आध्यात्मिक महत्व

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को 108 दिव्यदेशम (भगवान विष्णु के पवित्र मंदिरों) में पहला और सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे आलवार संतों द्वारा रचित भजनों और स्तुतियों में प्रमुख स्थान दिया गया है।

यह मंदिर श्री वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है, जिसे संत-दार्शनिक रामानुजाचार्य ने स्थापित किया था।

त्योहार और उत्सव

मंदिर में पूरे वर्ष अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।

1. वैकुंठ एकादशी:

यह मंदिर का सबसे प्रमुख त्योहार है, जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन वैकुंठ (भगवान विष्णु का दिव्य लोक) के द्वार खुले माने जाते हैं। मुख्य आकर्षण भगवान रंगनाथ की शोभायात्रा है, जो परमपद वासल (स्वर्ग के द्वार) से गुजरती है।

2. पंगुनी उत्सव:

यह भगवान रंगनाथ और देवी रंगनायकी के दिव्य विवाह का उत्सव है। इस दौरान भव्य अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

3. चित्तिराई उत्सव:

यह त्योहार भगवान रंगनाथ के राज्याभिषेक (ताजपोशी) का जश्न है।

कथाएँ और दंतकथाएँ

मंदिर से जुड़ी कई दंतकथाएँ इसकी दिव्यता को और बढ़ाती हैं।

  • विभीषण की कथा: रामायण के अनुसार, विभीषण जब इस मूर्ति को लंका ले जा रहे थे, तब भगवान ने इसे श्रीरंगम में स्थापित होने का संकेत दिया।
  • आलवार संतों की स्तुतियाँ: आलवार संतों, विशेषकर तिरुप्पाण आलवार, ने भगवान रंगनाथ की सुंदरता और दिव्यता का अद्भुत वर्णन किया है।

सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव

यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का भी केंद्र है। यहां के अनुष्ठान, त्योहार और दैनिक क्रियाकलाप तमिलनाडु की समृद्ध परंपरा को दर्शाते हैं।

आधुनिक समय में महत्व

आज भी, श्री रंगनाथस्वामी मंदिर भक्तों और पर्यटकों के लिए समान रूप से आकर्षण का केंद्र है। इसे एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकित किया गया है। मंदिर के संरक्षण और रखरखाव के लिए कई प्रयास किए गए हैं।

भक्तों के लिए उपयोगी जानकारी

  • यात्रा का सही समय: दिसंबर से फरवरी के ठंडे महीने, खासकर वैकुंठ एकादशी के समय।
  • ड्रेस कोड: मंदिर में पारंपरिक और शालीन कपड़े पहनना अनिवार्य है।
  • समय: मंदिर सुबह जल्दी खुलता है और रात 9 बजे बंद हो जाता है।
  • आसपास के आकर्षण: भक्त तिरुचिरापल्ली में रॉक फोर्ट मंदिर और जंबुकेश्वर मंदिर भी देख सकते हैं।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर आध्यात्मिकता, संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक है। इसका भव्य स्वरूप, दिव्य वातावरण और ऐतिहासिक महत्व इसे न केवल भारत का बल्कि विश्व का एक अमूल्य धरोहर बनाते हैं। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आत्मा को दिव्यता से जोड़ने का अनुभव है।

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