नक्सल मामलों में सरकार पूरी तरह से फेल – सुरेन्द्र वर्मा

निर्दोष आदिवासी रोज मारे जा रहे हैं, कभी नक्सली मुखबिर बताकर हत्या कर रहे हैं, कभी फर्जी एनकाउंटर में – वर्मा

न्यूजलाइन नेटवर्क, रायपुर ब्यूरो
रायपुर :
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा की सरकार में स्थानीय आदिवासी दो पाटों के बीच पीस रहे हैं। एक तरफ जहां बीजापुर, पीडिया, कोयलीबेडा, नारायणपुर के अबूझमाड़ में फर्जी एनकाउंटर की शिकायतें लगातार आ रही है, वहीं दूसरी ओर नक्सली निर्दोष ग्रामीण पर मुखबिरी का आरोप लगाकर हत्या कर रहे हैं। बीते 18 दिन के भीतर ही दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में दो महिलाओं सहित 10 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या मुखबिरी के संदेह में नक्सलियों ने की है। भाजपा की सरकार प्रदेश की जनता की सुरक्षा कर पाने में पूरी तरह नाकाम है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक ही दिन में चार-चार निर्दोष ग्रामीणों की हत्या भाजपा सरकार के नक्सल नियंत्रण के दावों की पोल खोलने पर्याप्त है। 12 दिसंबर को नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में नक्सली मुठभेड़ में सात नक्सलियों के मारे जाने का दावा प्रशासन ने किया था, जिसमें से पांच लोग स्थानीय आदिवासी है, यह दावा पीड़ित परिवारों और ग्रामीणों ने किया केवल इतना ही नहीं उक्त फर्जी मुठभेड़ में चार नाबालिक घायल हैं, साय सरकार नक्सल मामलों में संशय की स्थिति में है 1 साल बीतने के बावजूद यह सरकार अब तक कोई ठोस नक्सल नीति नहीं बन पाई है। बस्तर को छावनी में तब्दील कर देना नक्सली नियंत्रण का समुचित उपाय कदापि नहीं हो सकता, स्थानीय आदिवासी दोनों तरफ से पीसे जा रहे हैं। बस्तर के विकास को लेकर इस सरकार का कोई विजन नहीं है। राहत, पुनर्वास और ठोस समर्पण नीति यह सरकार अब तक नहीं बना पाई है। यह सरकार स्थानीय आदिवासियों का भरोसा पूरी तरह से खो चुकी है। दोनों तरफ के अत्याचार से पीड़ित आदिवासी पलायन के लिये मजबूर है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार की बुरी नीयत केवल बस्तर के संसाधनों पर है। बंदूक के दम पर आदिवासियों को डराया जा रहा है। 15 साल के रमन राज में बस्तर के 600 गांव से 3 लाख से ज्यादा आदिवासी पलायन के लिए मजबूर हुए। अपना जल, जंगल, जमीन छोड़कर आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और उड़ीसा शरण लेना पड़ा था और अब एक बार फिर वही इतिहास दोहराने की तैयारी हो रही है। जिस तरह से 2016 में ग्रामसभा की फर्जी एनओसी लगाकर नंदराज पर्वत मोदी के मित्र अडानी को अनुचित तरीके से दिए अब एनएमडीसी के नगरनार प्लांट को बेचने की तैयारी है। आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष का पद स्थानीय आदिवासी जनप्रतिनिधियों से छीन कर मुख्यमंत्री स्वयं बैठ गए, शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना दुर्भावना पूर्वक बंद कर दी गई, वनोपजों की प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग का काम बाधित कर दिया गया, वनांचल की मुख्य फ़सल कोदो, कुटकी, रागी का समर्थन मूल्य में खरीदी बंद है, राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि भी छीन ली गई। वनाधिकार पट्टे निरस्त कर रहे हैं। भाजपा की सरकार केवल डरा धमका कर शासन करना चाहती है। साय सरकार में बस्तर के स्थानीय आदिवासी कभी नक्सलियों के टारगेट में आ रहे हैं तो कभी सुरक्षा बलों की गोली का शिकार होने मजबूर हैं।

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