दिल्ली में फर्जी दस्तावेजों का जाल: कैसे पुलिस ने 11 आरोपियों और अवैध अप्रवासियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया!

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में अवैध अप्रवासियों के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया और 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में फर्जी दस्तावेज बनाने वाले जालसाज, आधार ऑपरेटर और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। इन आरोपियों ने नकली वेबसाइटों का उपयोग करते हुए फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य सरकारी दस्तावेज तैयार किए। इस कार्रवाई से पहले दिल्ली के उपराज्यपाल सचिवालय ने मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया था कि वे शहर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी अप्रवासियों की पहचान करें और उनके खिलाफ सख्त कदम उठाएं। इसके लिए दो महीने का विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई गई थी।

अवैध अप्रवासियों की एंट्री का तरीका

जांच के दौरान पता चला कि आरोपी बांग्लादेश से दिल्ली तक अवैध अप्रवासियों को लाने के लिए जंगलों और एक्सप्रेस ट्रेनों का सहारा लेते थे। वे इन अप्रवासियों को नकली आधार कार्ड, अस्थायी सिम कार्ड और यात्रा खर्च के लिए नकद राशि प्रदान करते थे। इन आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र बनाकर इन दस्तावेजों को तैयार किया, ताकि अप्रवासियों को भारत में रहने और नौकरी पाने में आसानी हो।

मामले का खुलासा कैसे हुआ?

यह मामला तब प्रकाश में आया जब संगम विहार इलाके में 21 अक्टूबर को सेंटू शेख उर्फ राजा की हत्या की जांच शुरू हुई। दक्षिण दिल्ली के डीसीपी अंकित चौहान ने बताया कि जांच के दौरान चार बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार किए गए, जिन्होंने हत्या की बात स्वीकार की। गहन पूछताछ के दौरान पुलिस को दिल्ली में चल रहे एक बड़े इमिग्रेशन रैकेट के बारे में जानकारी मिली। गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशियों में मिदुल मियां उर्फ आकाश अहमद, फरदीन अहमद उर्फ अभि अहमद और दो महिलाएं शामिल हैं। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि ये सभी लोग अवैध रूप से भारत में घुसे थे और संगम विहार इलाके में एक साल से अधिक समय से रह रहे थे। उन्होंने भारत में रहने के लिए नकली भारतीय पहचान पत्र प्राप्त किए थे।

पुलिस की कार्रवाई

हत्या के आरोपियों से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज की और अपना ध्यान अवैध अप्रवासियों को सहायता प्रदान करने वाले गिरोहों पर केंद्रित किया। मृतक के घर से पुलिस ने 21 आधार कार्ड, 4 वोटर आईडी कार्ड और 8 पैन कार्ड बरामद किए। इन सभी दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिकों के होने की संभावना है। यह खोज पुलिस को दस्तावेज बनाने वाले जालसाजों और तकनीकी विशेषज्ञों के विस्तृत नेटवर्क तक ले गई।

गिरफ्तार आरोपियों का परिचय

पुलिस ने छापेमारी के दौरान कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें तकनीकी विशेषज्ञ साहिल सहगल, अफरोज, सोनू कुमार, मोहम्मद दानिश, और सद्दाम हुसैन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, रंजीत नामक एक बिचौलिए को भी हिरासत में लिया गया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने रोहिणी के सेक्टर-5 में स्थित पूनम ऑनलाइन कंप्यूटर सेंटर के माध्यम से नकली आधार कार्ड तैयार किए। इस सेंटर का मालिक सहगल है, जो इस गिरोह के प्रमुख तकनीकी विशेषज्ञों में से एक है।

अवैध गतिविधियों का तंत्र

बवाना निवासी अफरोज, जो एक बैंक में अधिकृत आधार ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था, फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार कार्ड तैयार करता था। सोनू ने “Jantaprints.site” नामक एक फर्जी वेबसाइट बनाई थी, जहां बेहद कम कीमत पर नकली दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते थे। इन दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, कोविड प्रमाण पत्र और अन्य सरकारी दस्तावेज शामिल थे।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस फर्जी वेबसाइट को प्रामाणिक दिखाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर और प्रभावशाली आंकड़ों जैसे 5000 से अधिक डाउनलोड, 1500 रेटिंग्स और 10,000 से अधिक शिकायतों के समाधान का विवरण जोड़ा गया था। वेबसाइट पर 20 रुपये में जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड तथा 7 रुपये में ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज उपलब्ध थे।

गिरोह की कार्यप्रणाली

सोनू ने यूट्यूब से फर्जी वेबसाइट बनाने का तरीका सीखा और इसके बाद “पोर्टलवाले डॉट कॉम” और “पोर्टलवाले डॉट ऑनलाइन” नामक वेबसाइटें भी तैयार कीं। वह नोएडा में एक साइबर कैफे चलाता था, जहां से वह फर्जी दस्तावेज बनाने का काम करता था।

वित्तीय लेनदेन और अन्य गिरफ्तारियां

जांच में पता चला कि अवैध अप्रवासी जंगलों के रास्ते भारत में प्रवेश करते थे और एसी ट्रेनों से दिल्ली आते थे। दिल्ली पहुंचने के बाद उन्हें नकली आधार कार्ड और सिम कार्ड मुहैया कराए जाते थे। वित्तीय लेनदेन के आधार पर पुलिस ने मोहम्मद चांद और सद्दाम हुसैन को गिरफ्तार किया, जो पेटीएम क्यूआर कोड के जरिए भुगतान स्वीकार करते थे। इसके अलावा, रंजीत नामक बिचौलिए को भी गिरफ्तार किया गया, जो कंप्यूटर सेंटर और आधार ऑपरेटरों के बीच समन्वय का काम करता था।

दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई ने अवैध अप्रवासियों और उनके मददगारों के एक बड़े नेटवर्क को उजागर किया है। यह ऑपरेशन न केवल अवैध दस्तावेज तैयार करने वाले गिरोह पर नकेल कसने में सफल रहा, बल्कि इससे अवैध अप्रवासियों के भारत में घुसपैठ के तंत्र का भी खुलासा हुआ। पुलिस इस मामले की जांच को और आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है।

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