
तीनों लोकों के कल्याण के लिए राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाए जिससे सबको मुक्ति मिले । गंगा अवतरण की कथा हमें मां गंगा मैय्या की करुणा और दया के गुणों से परिचित कराती हैं – पंडित श्रीकांत तिवारी
न्यूजलाइन नेटवर्क, जांजगीर-चांपा ब्यूरो
चांपा : महराज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा मैय्या को धरती पर लाने अत्यंत कठोर तपस्या किया तब ब्रह्माजी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान देने प्रकट हुए । भागीरथ को वर मांगने के लिए कहा तब भागीरथ ने गंगा को धरती पर लाने की बात कही , जिससे वह अपने साठ हजार पूर्वजों को मुक्त कर सके । इस पर चिंतन करते हुए ब्रम्हा जी ने कहा कि गंगा को तुम्हारे साथ तो भेजता हूं लेकिन उसकी तीव्र गति को कौन सहन करेगा अंत: इसके लिए तुम्हें भगवान शिव की शरण लेनी चाहिए ,वही तुम्हारी मदद करेंगे।
गंगा को पृथ्वी पर लाने भागीरथ ने अपनी तपस्या से शिवजी को संतुष्ट किया और गंगा के तेज़ प्रवाह को अपनी जटाओं में रोकने के लिए तैयार हो जाते हैं। गंगा को अपनी जटाओं में रोककर एक जटा को धरती पर छोड़ देते हैं। गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम में गई तब गंगा के जल से अपने पूर्वजों की मुक्ति दिलाने में सफ़ल होते हैं । उक्त उद्गार संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवें दिन गंगा अवतरण की महिमा का वर्णन करते हुए व्यासपीठ पर विराजमान परम-पूज्य पंडित पंडित श्रीकांत तिवारी सारागांव वाले ने कही । नगर के पत्रकार पप्पू थवाईत के मझली तालाब चांपा स्थित निवास स्थल पर दिनांक 17 दिसंबर 2024 से दिनांक 20 दिसंबर 2024 तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन दोपहर 2 बजें से हरि इच्छा तक किया जा रहा हैं । कथा महात्म्य का रसपान करने छत्तीसगढ़ राज्य हाथ करघा आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमललाल देवांगन, राज्य युवा आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष कार्तिकेश्वर स्वर्णकार, पूर्व सहायक प्राध्यापक शशिभूषण सोनी तथा व्याख्याता श्रीमति शांति थवाईत बहनजी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे । मुख्य यजमान पप्पू थवाईत -श्रीमति रश्मिता थवाईत तथा उप-यजमान पिंटू श्रीमति राही थवाईत हैं ।

व्यासपीठ से भागवताचार्य तिवारी जी ने कहा कि मानव के साथ मानव बनना सरल हैं कपिल मुनि ने घोड़ा चुराया जिससे साठ हजार पुत्रों का उद्धार हुआ। गंगा अवतरण की कथा हमें गंगा मैय्या की करुणा और दया के गुणों से परिचित कराती हैं । गंगा ज्ञान का स्वरुप हैं इसलिए भागीरथ हो गया । गंगा विश्व पावनी और लोक माता हैं। गंगा मैय्या के आश्रय से मनुष्य भौतिक उन्नति नहीं बल्कि मानवता को उपकृत करने आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकता हैं । साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने व्यासपीठ पर विराजीत आचार्य श्रीकांत तिवारी जी का पुष्प गुच्छ और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया और आचार्य श्री ने उन्हें राधे-राधे दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर वयोवृद्ध रोशनलाल अग्रवाल,अजय अग्रवाल, रामलाल थवाईत, शंकर, सुमित,आकाश थवाईत सहित अन्यान्य लोग मौजूद थे ।
अंत में श्रीमद्भागवत पुराण कथा महात्म्य श्रवण के दौरान सभी लोगों ने मधुर दिव्य आरती का आनंद लिया । यह एक अद्भुत अनुभव हैं , जहां भक्तिमय माहौल में भगवान की आरती सुनने से आत्मा को शांति और आनंद प्राप्त होता हैं ।’ मन में बसा कर तेरी मूर्ति उतारूं मैं गिरधर यह आरती भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं । यह आरती सुनने से श्रद्धालु भक्तों को भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जागृत होती हैं । धार्मिक आस्था रखने वाले शशिभूषण सोनी जी के लिए यह एक यादगार पल होगा, जहां उन्होंने भगवान की आरती का आनंद लिया और अपने आत्मा को शांति और आनंद प्राप्त किया ।