अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन।

न्यूजलाईन नेटवर्क- डिप्टी ब्यूरो- राजेश तिवारी

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-नवप्रवाह साहित्यिक मंच सोनभद्र के तत्वावधान में तृतीय समागम के अवसर पर लोहरा सुकृत में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन रविवार को भव्य रूप से संपन्न हुआ।सभी कवियों को अंगवस्त्र लेखनी पुस्तिका प्रतीक चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया ।वहीं बाबू जगदेव प्रसाद युवा गौरव सम्मान शायर शारिक मख़दूम फ़ूलपुरी प्रयागराज को दिया गया ।

महात्मा ज्योतिबा फुले साहित्य सम्मान इंजीनियर रामनरेश नरेश वाराणसी को दिया गया। आयोजन की अध्यक्षता शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के निदेशक प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट वरिष्ठ साहित्यकार ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन नाथ सोनांचली व वंदना संस्था प्रमुख गोपाल कुशवाहा शिक्षक ने किया । दीपदान माल्यार्पण पश्चात विधिवत आयोजन का आगाज हुआ।

प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने मीरा मोहन की प्रीत लिख देना सबके होंठों पे गीत लिख देना मार मादक मगन वियोगी मनसाथ साजन हो जीत लिख देनाबसंत को समर्पित श्रंगार की पंक्ति और वहीं काश लहू का इक इक कतरा भारत मां के काम आये सुनाया और वाहवाही लूटी।

प्रमोद सिंह निर्मल ने भूल कर भी न देना एटीएम का पिन उसको वर्ना वो लड़की कंगाल बनाकर छोड़ेगी सुनाया और हंसाते रहे। राहुल सिंह कुशवाहा प्रवाह ने,उनकी आंखों में पानी नहीं चाहिए याद ऐसी भी आनी नहीं चाहिए।शारिक मख़दूम फ़ूलपुरी ने शायरी मिलन के वास्ते बेताब है दिल अब तो आ जाओ सुनाया और सराहे गये।

डा, छोटेलाल सिंह मनमीत वाराणसी ने न्याय बिकने लगा जाके दरबार में लिखने वालों की जब कलम सो गई सुनाया और संवेदना को मुखर किया। म्योरपुर से पधारे यथार्थ विष्णु ने ना राजा का लड़का हूं मैं ना उद्यम व्यापार मैं गीतों का राजकुमार सुनाया और गतिज ऊर्जा देकर पूरे वातावरण को रसमय बनाया। अहरौरा से पधारे नरसिंह साहसी तथा जयराम सोनी सोनभद्र ने अपनी कविता वह हंसगुल्ले से देर तक लोगों को हंसाते रहे।

कवयित्री अलका आरिया व सुशीला वर्मा एडवोकेट ने अपने गीत ग़ज़लों से पूरे लोगों को खुश कर दिया और सराही गई। हृदय नारायण हेहर हास्य व्यंग सुनाकर श्रोताओं को खूब पसंद आए उनकी रचना जहर भइल जिनगी के पौधा पात पात मुरझाइल जाता।जतने होता दुआ दवाई ओतने रोग बढियाइल जाता सुनाकर यथार्थ का चित्रण किया।

वाराणसी से पधारे वरिष्ठ कवि सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध ने बेटियों को समर्पित रचना दो कुल की पहचान बेटियां गुलशन की हैं शान बेटियां सुनाया और करुण रस का संचार किया शमां बांध दिये । रामनरेश नरेश वाराणसी ने मोहन गिरधारी घनश्याम ऐसा दो हमको वरदान सबके रोम रोम से निकलें मेरा प्यारा हिंदुस्तान तथा चार दिन की बची जिंदगी रह गई ख्वाहिशों में दबी ही खुशी रह गई और वहीं सुजीन्द्र साहिल ने संवेदना की पंक्ति जिंदा आदमी अब कहां क्षुधा है धधकी तेरे पिता हैं भूखे लाचार मां है कहती सुनाये।

वरिष्ठ साहित्यकार हरिवंश बवाल चंदौली ने मुखर स्वर जो कहता है किसी से मेरी दुश्मनी नहीं मेरा दावा है कि वो किसी से दोस्ती भी कर नहीं सकता सुनाकर गंभीर रचना से माहौल को ऊंचाई दिया। आयोजन के मुख्य अतिथि डा,एस के सिंह विशिष्ट अतिथि राजाराम सिंह रहे।

राधेश्याम पाल श्याम व गोपाल कुशवाहा ने अपनी रचना से लोगों के दिल को छू लिया और सराहे गये।इस अवसर पर सत्यप्रकाश कुशवाहा एडवोकेट चंद्रप्रकाश एडवोकेट कमलेश सिंह एडवोकेट पारसनाथ मौर्य बृजेश कुमार मौर्य सिद्धार्थ वर्धन यशवंत सिंह मौर्य कमलेश यादव नंदलाल पटेल जगदीश यादव फारुख अली हाशमी रिषभ त्रिपाठी दिनेश कुमार सहित सैकड़ों लोग देर शाम तक जमे रहे। आभार संस्था के संयोजक राधेश्याम पाल श्याम ने व्यक्त किया ।

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