एजाज़ अहमद ब्यूरो चीफ न्यूज लाईन नेटवर्क
भदोही हम ने अपने बड़ों से सुना है वीरों से खाली नहीं है ये धरती।
बात है उन दिनों की जब ठंड का महीना था उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक टीचर्स कालोनी है जहां पर प्रमोद मांगलिक जी का अपना घर है । श्री प्रमोद मांगलिक जी पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के पद पर रहकर कार्य किया करते थे जब ठंड जा रही थी और मौसम खुशगवार होने की तरफ अपने पंखे फैलाए तेजी से मार्च महीने की तरफ बढ़ रहा था, 2 फरवरी 1991का दिन था इस देश में एक ऐसे बच्चे का जन्म होता है जो हिम्मत वाला निर्भय और अच्छी विचारों वाला बच्चा था। यह बात उस वक्त किसी को नहीं पता थी यह बात तो सिर्फ ईश्वर ही जानता था कि यह जन्मा लड़का कितनो का दुख दर्द दूर करेगा। नौजात बच्चे के घर में आने से खुशियां ही खुशियां थी परिवार के सभी लोग काफी खुश थे परिवार के सभी लोगों की सहमति से बच्चे का नाम अभिमन्यु मांगलिक रखा गया। बच्चा धीरे धीरे अपनी शुरुआती उमर की शिक्षा बुलंदशहर के एक प्राइमरी कॉन्वेंट स्कूल से प्रारंभ की अभिमन्यु मांगलिक शुरू से ही पढ़ने में तेजतर्रार थे उन्होंने सी.बी.एस.सी . बोर्ड से हाई स्कूल की परिक्षा 2007 में फस्ट डिविजन से पास करते हुए 2009 में अच्छे अंकों से इंटर की पढ़ाई पूरी की तथा बी.कॉम की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूर्ण की तथा 2013 में ICAT से सी.ए की शिक्षा पूर्ण कर वही दिल्ली में ही सी ए की पद पर जॉब करने लगे परंतु सी.ए की नौकरी में मन नहीं लगा जबकि पैकेज भी कम नहीं था पूरे 16 लाख के पैकेज पर काम करने वाले सी. ए की नौकरी सिर्फ इस लिए छोड़ दी की वो इस देश में रहने वाले पीड़ितों की सहायता नहीं कर पा रहे थे। देश के लिए कुछ कर गुजरने का जूनून भी उनके दिल में मौजूद था उन्होंने अपना मन बनाया और सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुट गए दिन में सी.ए की नौकरी और रात में 4 या 5 घंटे पढ़कर सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुट गए। नाते रिश्तेदारों तथा दोस्तों ने समझाया कि सी. ए की नौकरी तो तो अच्छी है पैकेज भी अच्छा है फिर इतनी मेहनत क्यों परंतु अभिमन्यु मांगलिक एक क्षण भी रुकने वालों में से नहीं थे पहली बार वो सिविल सर्विसेस की परीक्षा में वो नाकाम हुए परंतु हार नहीं मानी बल्कि पढ़ाई में और मेहनत की और मन में ये बात ठान ली कि इस बार तो जरूर इस सिविल सर्विसेस के इक्जाम को क्रैक कर लूंगा और वहीं उनकी सफलता ने उनके सम्मुख अपने घुटने टेक दिए और वो सिविल सर्विसेस के इक्जाम को क्रैक कर Ips अधिकारी के पद पर नियुक्त हुए घर वालों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा और पहली बार उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में पहली पोस्टिंग पाई चूंकि बरेली में बहुत सारे ड्रग्स माफियों का गैंग सक्रिय था जिनकी संख्या छोटे बड़े गैंग को मिलकर 200 के आस पास थी अभिमन्यु मांगलिक ने पहले उन सब के बारे में जानकारी इकट्ठी की और अपने मुखबिरों की नेटवर्क को मजबूत करते हुए पूरी जानकारी इकट्ठी कर दूसरे प्रदेशों से भी आने वाले ड्रग्स को रुका और ड्रग्स माफियों को धर दबोचा फरीदपुर में पहली बार इतना ड्रग्स अभिमन्यु मांगलिक के द्वारा जब्त किया था, जिनकी कीमत लगभग 20 लाख तक आंकी गई थी और फिर भी हार नहीं मानी काफी तह तक पहुंचने पर पता की ड्रग्स माफियों के परिवार भी इस ड्रग्स गैंग के कार्य में शामिल है फिर उन पर भी कार्यवाही करते हुए उस गैंग को नेस्तनाबूद किया 2018 बैच के आई.पी.एस अधिकारी की कार्य शैली और बनाई गई ड्रग्स विरुद्ध नीतियों को देख समझ उनके बड़े अधिकारियों द्वारा उनको कई बड़े मेडलों से सम्मानित किया गया। उसमें खेल के मेडल भी शामिल है, जो जिले और प्रदेश के अस्तर पर प्राप्त हुए है। उन मिले मेडलों की संख्या लगभग 10 बताई गई है इतना ही नहीं डी.जी.पी उत्तर प्रदेश के द्वारा सिल्वर मेडल से भी उन्हें सर्व सम्मानित किया गया है साथ ही साथ वो राज्यपाल के ADC भी रह चुके है।
अभिमन्यु मांगलिक बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी है इनकी ही जांच रिपोर्ट पर सहारन पूर में सहारनपुर के भू माफिया हाजी इकबाल से करोड़ों रुपए की भूमि अपने नाम ट्रांसफर कराने वाले इंस्पेक्टर नरेश कुमार को सेवा निवृत्त कर दिया गया था और तो और इनके ही द्वारा सहारनपूर में एक बड़े राजनीतिक नेता चंद्रशेखर आजाद के ऊपर गोली चलाने वाले उन अपराधियों को धर दबोचा गया था जिन्होंने चंद्र शेखर आजाद की जान लेने की कोशिश की थी 2018 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिमन्यु मांगलिक लगभग 26 महीने सहारनपुर के एस.पी. सिटी रहे अभिमन्यु मांगलिक अपनी वैवाहिक जीवन की शुरुआत अपने दोस्त कृतिक मांगलिक के साथ निर्वाह करना चाहते थे और दूसरी बार यू .पी. एस .सी की परीक्षा मे बैठ कर इम्तेहान को क्वालीफाइड करके ही अपने सपने को साकार किया और उनका दूसरा सपना भी दिल्ली में रहने वाली दोस्त को अपना जीवन संगिनी बनाकर उस दूसरे सपने को भी साकार कर डाला यह विवाह उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों की सहमति से कोर्ट मैरेज करके पूर्ण की ।
अभिमन्यु मांगलिक बनारस में भी सेवारत रहे एक दिन सारनाथ में चेकिंग के दौरान 18 अपराधों के क्राइम में लिप्त नाम वाले मोनू चौहान को जो कि 150000/ का इनामिया बदमाश घोषित था, उसको भी जवाबी कार्यवाही में ढेर कर दिया मोनू चौहान का नाम उन खूंखार अपराधियों में आता था, जो दिन दहाड़े 2020 के धनतेरस वाले दिन श्याम बिहारी के मौत से जुड़ा नाम था श्याम बिहारी की हत्या मोनू चौहान के द्वारा ही कराई गई थी या की खुद उसने ही की थी मोनू चौहान तथा उसका साथी गैंगस्टर सनी सीधे प्रशासन के ऊपर गोली चलने में माहिर थे वो बिल्कुल भी पुलिस वालों के ऊपर गोली चलने में नहीं हिचकते थे। सनी को 2015 में ही प्रशासन द्वारा निपटा दिया गया था। ऐसे प्रदेश के बड़े खूंखार अपराधियों को जिनकी संख्या लगभग 41 थी हमारे नवागत एस.पी.साहब के द्वारा उनका सफाया किया जा चुका है।
भदोही की जनता ये उम्मीद करती है कि वो न्याय हित में जो ज़रूरी कदम होने उससे वो पीछे बिल्कुल भी नहीं हटेंगे। ऐसे निर्भय साहसिक और उच्च विचार रखने वाले ips अधिकारी अभिमन्यु मांगलिक जी ने ना जाने ऐसे कितने घरों को उन अपराधियों के जुल्म के शिकार होने वाले परिवार को खुशियां लौटा दी। वो जाने वाले वापस तो नहीं आयेंगे पर उनके घर वालों की आत्मा की शांति जरूर मिलेगी ना जाने कितने घरों को बेवा कर उन वहशियों ने कितने घरों के मासूम बच्चों को ड्रग्स की दलदल में धकेला होगा ना जाने कितने परिवार के बच्चे अनाथ की जिंदगी गुजार रहे होंगे ऐसे जालिमों का हस्र भी ऐसा ही होना चाहिए।