सैकड़ो महिलाओं ने एनसीएल मुख्यालय पहुंचकर किया विरोध प्रदर्शन।

न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट
सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। एनसीएल के जयंत एवं दुधीचुआ परियोजना विस्तार को लेकर मोरवा क्षेत्र का विस्थापन होने जा रहा है। इसी बीच एनसीएल के नए फरमान के बाद सरकारी जमीन पर घर बनाकर रहने वाले लोगो में असंतोष व्याप्त है। सोमवार को मोरवा के सरकारी एवं वन भूमि पर घर बनाकर रहने वाली सैकड़ो महिलाए अपनी मांग पत्र एनसीएल पहुंची। परंतु कुछ चुनिंदा लोगों को अंदर वार्ता के लिए बुलाकर अन्य को गेट पर ही रोक दिया गया। इससे नाराज लोगों ने एनसीएल मुख्यालय गेट पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया।
इसी बीच मीडिया के पहुंचते ही एनसीएल सिक्योरिटी ने मामला बिगड़ता देख सभी को अंदर आने दिया, जिसके बाद सभी ने अपना मांगपत्र देने पुनर्स्थापना सेल पहुंचे, जहां पर दोबारा उन्हें रोक दिया गया। लोगों का आरोप था कि मुख्यालय पर पुर्नस्थापना सेल लोगो की समस्याएं सुनने के लिए ही बनाया गया। इस बीच पुनर्स्थापना सेल में जीएम निरंजन सिन्हा ने मीडिया से बात करने से भी मना कर दिया। जिसके बाद मामला बिगड़ते देख वह कुछ महिलाओं को लेकर सीएमडी बी साईंराम से मिलाने पहुंचे। इधर कुछ किराएदार भी अपनी मांगों को लेकर एनसीएल मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से मोरवा में किराए के मकान पर रहकर अपनी आजीविका चलाते हैं परंतु अब उन्हें सिरे से नकारा जा रहा है। जिसके चलते उनके रोजी-रोटी समेत उनके उपर अब विस्थापन के काले बादल मंडराने लगे है। प्रबंधन द्वारा उनकी मांग पत्र को लेकर इस पर विचार करने का आश्वासन दिया गया।
इधर लोगों के आक्रोश देखकर एनसीएल सीएमडी बी साईंराम कार्यालय से बाहर आकर लोगो को बताया कि एनसीएल एक सरकारी कंपनी है इसलिए उसकी सीमाएं निर्धारित है। उन्होंने सरकारी जमीनों पर मुआवजे को लेकर लोगों को जिला कलेक्टर से मिलने की सलाह दी। उन्होंने कहा जिला कलेक्टर के पास राजस्व विभाग समेत अन्य सभी विभाग है। अतः उनके पास जाने से शायद कोई रास्ता निकल आए। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना था कि जिस प्रकार पूर्व की भांति विस्थापन हुआ है इस प्रकार मोरवा का भी विस्थापन हो। इसके लिए एनसीएल प्रबंधन ही जिला अधिकारी से बात कर रास्ता निकाले। फिलहाल पहली बार सामने आए सीएमडी के आश्वासन के बाद लोगों में आगे की रणनिति पर विचार विमर्श करना शुरू कर दिया है।