न्यूजलाइन नेटवर्क – ब्यूरो रिपोर्ट


सिंगरौली/ मध्य प्रदेश। गुरूवार को एनसीएल विस्थापन नीति के विरोध में सिंगरौली विस्थापन संघर्ष समिति द्वारा जयंत खदान का उत्पादन व ब्लास्टिंग रोकने पुरानी राईस मिल व चड्डा कंपनी कैम्प के पास धरना प्रदर्शन कर विरोध प्रकट किया जा रहा था। इसी दौरान दोपहर में 1: 00बजे से 1:30 बजे के बीच 04 बार ब्लास्टिंग होने से धरना पर बैठे लोग आक्रोशित हो गए। इनमें महिलाओं ने पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ दिया और खदान क्षेत्र में घुस कर विरोध प्रदर्शन करने लगी। उनके पीछे-पीछे बच्चे और पुरुष भी खदान में घुस गए। एसडीओपी के के पाण्डेय ने कमान संभालते हुए पुलिस बल के साथ घेरा बनाकर प्रदर्शनकारियों को मशीन पर चढ़ने से रोक दिया नही तो बड़ी घटना घटने का अंदेशा बना हुआ था। इस घटना के बाद एनसीएल के आर एण्ड आर के महाप्रबंधक (राजस्व) निरंजन कुमार सिन्हा, महाप्रबंधक (सुरक्षा एवं कल्याण) राजेश त्रिवेदी, जयंत परियोजना के एसओपी पी. के. त्रिपाठी ने पहुँचकर धरना का नेतृत्व कर रहे लोगो को 10 सूत्रीय मांगो पर 12 जून को एनसीएल मुख्यालय में बैठक पर चर्चा करने के आश्वासन दिया। जिसके बाद सुबह 10:00 बजे से चल रहा धरना प्रदर्शन दोपहर 3:00 बजे संपन्न हुआ। इस दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक रंजन, एसडीओपी कृष्ण कुमार पाण्डेय, मोरवा थाना प्रभारी निरीक्षक यू.पी. सिंह, विंध्यनगर थाना प्रभारी निरीक्षक अर्चना दिवेदी व गोरबी चौकी प्रभारी रूद्र प्रताप सिंह, एसआई सुरेन्द्र यादव दल बल के साथ मौके पर शांति व्यवस्था बनाए रखने में लगे रहे।
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संघर्ष समिति के संरक्षक व सिंगरौली के पूर्व विधायक रामलल्लू बैस ने एनसीएल के अधिकारियों से कहा कि जयंत खदान द्वारा ही मेढ़ौली में पट्टे की तरह ही शासकीय भूमि के रहवासियों को मुआवजा दिया गया था, वही मुआवजा दिया जाय। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी ने प्रदर्शन के दौरान ब्लास्टिंग किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि एनसीएल के अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। समिति के 10 सूत्रीय मांगो पर पुर्नविचार कर विस्थापित हो रहे लोगो लाभान्वित किया जाय। यदि ऐसा नही किया गया तो आगे उग्र आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। वहीं राजेश गुप्ता ने भी एनसीएल के पुनर्वास नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि एनसीएल अपने वादे पर बार बार बदल रही है। पट्टे की भूमि की तरह ही शासकीय, वन भूमि पर रहने वाले लोगो को मुआवजा मिलना चाहिए। एनसीएल की दोहरी नीति नही चलेगी। वही संघर्ष समिति के अध्यक्ष रंजीत शर्मा ने कहा कि 18 मई को बस स्टैंड मोरवा में एक जनसभा आयोजित कर लोगों को अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया गया था। जहाँ एनसीएल प्रबंधन को चेताया गया था कि 31 मई तक मांगो पर विचार नहीं किया गया तो 05 जून को उत्पादन रोको अभियान के तहत जयंत खदान का प्रोडक्शन बाधित करने को विवश होना पड़ेगा। लेकिन एनसीएल प्रबंधन द्वारा हमारी मांगो पर कोई पहल नहीं की गई जिसके चलते 05 जून को धरना प्रदर्शन मजबूरी में करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि एनसीएल के द्वारा जयंत परियोजना व दुधीचुआ परियोजना विस्तार के लिए मोरवा क्षेत्र का भूमि अधिग्रहण किया जाना है। जिसके लिए 09 फरवारी 2024 को धारा 9 प्रकाशन के बाद भूमि अधिग्रहण के लिए भवनो के नापी इत्यादि का कार्य तेजी से चल रहा है। परंतु लोगों को उचित मुआवजे एवं पुनर्वास को लेकर एनसीएल अभी तक सजक नहीं है। करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी एनसीएल ने अभी तक पुनर्वास स्थल निश्चित नहीं किया।
खदान क्षेत्र में घुस रहे विस्थापितो को पुलिस ने रोका:- एनसीएल जयंत खदान के समीप सिंगरौली के पूर्व विधायक रामलल्लू बैस व अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी के नेतृत्व में चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान सुबह करीब 11:00 बजे ओबी कार्य में चल रहे वाहनो को रोकने जा रहे थे, लेकिन निरीक्षक यू पी सिंह समेत पुलिस बल ने खदान क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं कहकर बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
धरना प्रदर्शन के दौरान ब्लास्टिंग से भड़के प्रदर्शनकारी:- धरनाप्रदर्शन के दौरान चल रही सभा के दौरान एक-एक करके चार बार ब्लास्टिंग होने से विस्थापित भड़क गये। धीरे धीरे कर नारे बारजी करते हुए लोग खदान क्षेत्र में घुस गये। इनमें सर्वप्रथम महिलाओं ने पुरुष का सुरक्षा घेरा तोड़ा और बच्चों को लेकर खदान में जा घुसी। इनके पीछे पुरुष भी खदान में पहुंच गए। वही कुछ महिलाए हाथ में पत्थर लेकर मशीन पर चढ़ने जा रही थी लेकिन एसडीओपी के के पाण्डेय के नेतृत्व में विंध्यनगर थाना प्रभारी अर्चना द्विवेदी दल बल के साथ घेरा बनाकर प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। इस बीच पुलिस अधिकारियों व प्रदर्शन कारियों के बीच हाक टाक भी हुई।
अधिकारियों को खदान में पैदल जाना पड़ा:- इस घटना के बाद एनसीएल के अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों को खदान क्षेत्र में जाकर प्रदर्शनकारियों को समझाना पड़ा। फिर वहां से पैदल ही लौटकर धरना स्थल पर धरना दे रहे लोगो को आश्वासन देना पड़ा तब जाकर मामला शांत हुआ।
विस्थापन संघर्ष समिति की प्रमुख मांगे:- शासकीय भूमि, वन भूमि एवं अनुबंधित भूमि पर निर्मित सभी आवासों के स्वामियों को 15 लाख की सम्मानजनक राशि प्रदान करने। प्रत्येक परिवार के सभी पात्र सदस्यों को 15 -15 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें। आवासों के संपूर्ण क्षेत्रफल का उचित सोलेशियम प्रदान किया जाए, जो हमारे भावनात्मक और भौतिक क्षति की पूर्ति कर सके। एकमुश्त विस्थापन भत्ते की राशि को वर्तमान 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए, ताकि हम नए स्थान पर सुगमता से अपना जीवन पुनः आरंभ कर सकें। पुनर्वास स्थल (आर एण्ड आर) के विकल्प के स्थान पर, शासकीय भूमि, वन भूमि अथवा अनुबंधित भूमि पर आवासित परिवारों को कम से कम 15 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान करने। अनुबंध की भूमि पर निर्मित आवासों के मुआवजे की संपूर्ण राशि सीधे भवन स्वामी के खाते में हस्तांतरित करने। सभी विस्थापितों को मेडिकल कार्ड प्रदान कर चिकित्सकीय सुविधा सुनिश्चित करने। स्कूलों/कालेज में शिक्षारत विद्यार्थियों के लिए उचित शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने इत्यादि मांगो को शामिल किया गया है।
आंदोलनकारी के लिए की गई थी खिचड़ी की व्यवस्था:- शासकीय भूमि पर बसे लोगों के लिए आंदोलन स्थल पर ही खिचड़ी की व्यवस्था की गई थी। सुबह 10:00 बजे के बाद धीरे-धीरे भीड़ बढ़ती चली गई। देखते ही देखते 01 हज़ार से ऊपर लोग प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए। इनमें महिलाओं ने बढ़कर हिस्सा लिया। उनका कहना था कि वह गृहस्ती संभालती है और जरूरत पड़ी तो अपने परिवार के हक के लिए एनसीएल का खिलाफ आमरण अनशन भी करेंगी। यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से सुबह 10:00 बजे से लेकर 5:00 बजे तक किया जाना था। परंतु एनसीएल द्वारा की गई ब्लास्टिंग के बाद मामला बिगड़ गया। इसे लेकर हर कोई यह कहता दिखा की एनसीएल ने संवेदन रवैया अपनाते हुए लोगों की सुरक्षा की परवाह नहीं की। वही आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोगों का आरोप था कि कल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के समक्ष यह साफ किया गया था कि प्रदर्शन के दौरान ब्लास्टिंग नहीं की जाएगी।
जनसंपर्क अधिकारी एनसीएल, सिंगरौली का कहना है कि गैर पट्टेदरों एवं अन्य ने खदान के नज़दीक धरना प्रदर्शन किया था। एनसीएल ने आज उनकी बात सुनी। आगे 12 जून को वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया है। इस प्रदर्शन द्वारा उत्पन्न अवरोध से किसी भी तरह की उत्पादन क्षति की सूचना नहीं है।