सूत्र :- सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी के मुकेश दलाल को छोड़कर सभी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. 22 अप्रैल तक निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक उम्मीदवार मैदान में था. यह घटनाक्रम कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नीलेश कुंभानी के नामांकन पत्र खारिज होने के एक दिन बाद आया है. क्योंकि उनके तीन प्रस्तावकों ने जिला चुनाव अधिकारी को एक हलफनामे में दावा किया था कि उन्होंने उनके नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन पत्र रविवार को खारिज कर दिया गया. जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रथम दृष्टया प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पायीं. सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी अमान्य करार दिया गया, जिससे विपक्षी पार्टी इस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव मैदान से बाहर हो गई. निर्वाचन अधिकारी सौरभ पारधी ने अपने आदेश में कहा कि कुंभाणी और पडसाला द्वारा सौंपे गए चार नामांकन फॉर्म को प्रस्तावकों के हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगतियां पाए जाने के बाद खारिज कर दिया गया. उन्होंने कहा कि ये हस्ताक्षर असली नहीं लग रहे हैं.आदेश में कहा गया कि प्रस्तावकों ने अपने हलफनामों में कहा है कि उन्होंने फॉर्म पर खुद हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कांग्रेस के वकील बाबू मंगुकिया ने कहा कि ‘नीलेश कुंभाणी और सुरेश पडसाला के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए हैं. चार प्रस्तावकों ने कहा है कि फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मुकेश दलाल के चुनाव एजेंट दिनेश जोधानी ने शनिवार को नामांकन पत्र पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस उम्मीदवार को अपना पक्ष रखने के लिए रविवार सुबह उपस्थित होने का समय दिया था।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि सूरत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र गुजरात के 26 लोकसभा (संसदीय) निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है । इस सीट से बीजेपी के दिग्गज कद्दावर नेता काशीराम राणा 6 बार सांसद रह चुके हैं. सूरत भारत के 7वें प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई का निर्वाचन क्षेत्र भी था , जो 5 बार इस निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रहे हैं। सूरत ने 1989 से भारी अंतर से भाजपा नेताओं को सांसद चुना है। हालाकि कई अन्य नेताओं ने कहा है कि यह सब बीजेपी का किया कराया है। हालांकि चुनावी माहौल है नेता एक दूसरे पर कटाक्ष करते नही रुकते हैं और नही थकते थे है।
रिपोर्ट:- न्यूज़ लाईन नेटवर्क, संवाददाता