गोपाल चतुर्वेदी, मंडल ब्यूरो चीफ मथुरा :
मथुरा/प्रयागराज: मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट मुकदमों की पोषणीयता को लेकर गुरुवार को अपना निर्णय सुनाएगा। मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था। ये मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए हैं। यह विवाद मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है। इसका निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया।
दोपहर 2 बजे तक फैसला आने की उम्मीद है। हिंदू पक्ष की याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं का बताया है और वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने वक्फ एक्ट आदि का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट तय करेगा कि इस विवाद में दाखिल 18 अर्जियों पर एक साथ सुनवाई होगी या नहीं। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच फैसला सुनाएगी।
हिंदू पक्षकारों की दलील
ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है।
शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रेकॉर्ड नहीं है।
श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।
मुस्लिम पक्षकारों की दलील
मुस्लिम पक्षकारों की दलील है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा मुकदमा चलने योग्य नहीं है।
उपासना स्थल कानून यानिी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
15 अगस्त, 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।