कुछ घंटे की बारिश ने दिल्ली को जलमग्न कर दिया। गाजीपुर में एक खुशहाल परिवार बर्बाद हो गया। बच्चे के स्कूल के पहले दिन के लिए मां ने सभी तैयारियां कर रखी थीं, सिर्फ स्कूल ड्रेस लेना बाकी था। तनुजा अपने बेटे प्रियांश के साथ वही ड्रेस लेने निकली थीं, लेकिन फिर कभी घर नहीं लौटीं। अब प्रियांश कभी स्कूल नहीं जा पाएगा।
दिल्ली में जलभराव के कारण एक मां और बेटे की जान चली गई। जब उनके शव मिले, तो वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खोड़ा कॉलोनी के पास तनुजा अपने बेटे प्रियांश को पकड़कर घर की ओर बढ़ रही थीं। तेज बारिश के कारण पानी में रास्ता ढूंढते हुए वे आगे बढ़ रहे थे। अचानक प्रियांश की उंगली छूट गई और वह 10 फुट गहरे नाले में गिर गया, जो पानी में छिपा हुआ था।
जैसे ही प्रियांश नाले में गिरा, तनुजा भी उसे बचाने के लिए कूद गईं। पानी का बहाव इतना तेज था कि दोनों बह गए। आसपास के लोगों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। कई घंटे बाद आधी रात के करीब आधा किमी दूर से उनके शव बरामद हुए। यह देख लोग भावुक हो गए कि मां ने आखिरी सांस तक अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ा था।
परिवार के करण बिष्ट ने बताया कि जब तनुजा और प्रियांश को नाले से निकाला गया, तो तनुजा को मृत घोषित कर दिया गया। प्रियांश के बचने की थोड़ी उम्मीद थी, लेकिन उसकी भी जान नहीं बच सकी। हादसे के वक्त तनुजा की भाभी पिंकी भी वहां थीं। उन्होंने बताया कि तनुजा ने प्रियांश और एक बैग को पकड़ रखा था। पिंकी ने भी उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन तनुजा नहीं मिल सकीं। तनुजा अपने हाथ से बच्चे को पकड़ रखी थीं।
पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में 22 साल की तनुजा और उनके तीन साल के बेटे प्रियांश की मौत ने सभी को झकझोर दिया है। शासन-प्रशासन एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इन दो निर्दोषों की जान जाने की जवाबदेही किसकी है? राजनीति भी शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। AAP के विधायक कुलदीप कुमार ने इसे उपराज्यपाल की लापरवाही का नतीजा बताया है। उन्होंने कहा कि यह घटना नहीं, बल्कि हत्या है। DDA के निर्माणाधीन नाले को ढका नहीं गया था, जिसके कारण यह हादसा हुआ। उन्होंने पुलिस से हत्या का मुकदमा दर्ज करने और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
क्या मुकदमा दर्ज करने से जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी? क्या मुआवजे से दो जानें वापस आ जाएंगी? हमें ऐसे सिस्टम की जरूरत है जिसमें कोई परिवार इस तरह की त्रासदी का शिकार न हो और किसी निर्दोष की जान न जाए। सिस्टम की खामियों को दूर करने के लिए हमें क्या करना होगा?