SC/ST रिजर्वेशन पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल संविधान के विरुद्ध है बल्कि भारतीय लोकतंत्र के भी विरुद्ध है – गुरु जी

दलित चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार पासवान उर्फ गुरु जी ने कहा सुप्रीम कोर्ट को कोई अधिकार नहीं है SC/St वर्गों में उपवर्गीकरण का यह सारे अधिकार संसद के पास है,यह संविधान और दलित पर खतरा है संविधान के अनुच्छेद 341के विरुद्ध है। क्योंकि sc/st की सूची में संशोधन करने का अधिकार केवल संसद (लोकसभा+राज्य सभा+राष्ट्रपति) के पास है। अभी भी sc/st संवर्ग के लिए आरक्षित हजारों पद रिक्त है, इसलिए ये निर्णय न केवल औचित्यहीन है बल्कि इन संवर्गों के हितों के भी विरुद्ध है। जब संपूर्ण sc/st संवर्ग में योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं, तो विभाजन के पश्चात तो और भी नहीं मिलेगे। इसका सीधा अर्थ है sc/st के लिए आरक्षित पद और ज्यादा रिक्त रहेंगे। और ये पद सवर्णों से भरे जाएंगे। अर्थात अप्रत्यक्ष रूप से सवर्णों को फायदा होगा। क्रीमीलेयर लागू करने का उद्देश्य भी पदों को रिक्त रखने का षड्यंत्र है। यह औचित्यहीन फैसला sc/st के बीच आपस में अविश्वास एवं संघर्ष का बीज बोने के लिए दिया गया है। हमें याद रखना चाहिए कि मणिपुर में खूनी संघर्ष का बीज हाईकोर्ट के फैसले ने ही बोया है।

सुप्रीम कोर्ट सवर्णों का ही एक संगठन है जो सवर्णों के हितों का संरक्षण करता है। यह निर्णय सवर्णों के हितों के विरुद्ध विकसित होने वाली बुद्ध, नानक,रैदास, फूले , शाहूजी, पेरियार,आंबेडकर एवं रामविलास पासवान की  विचारधारा के मूल आधारों का समूलनाश करने के लिए दिया गया है।

यह फैसला न्यायपालिका द्वारा संवैधानिक सीमाओं का स्पष्ट उल्लंघन है। न्यायालय को संविधान की व्याख्या का अधिकार है,संविधान में संशोधन का नहीं। यह फैसला अनुच्छेद 341 को विलोपित कर रहा है। आप सभी आंदोलन के लिए तैयार रहे बहुत जल्द बैठक कर करके आप लोगों को सूचित किया जाएगा  संसद को इस फैसले का तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और देश को मणिपुर बनने से रोकना चाहिएl

Leave a Reply

error: Content is protected !!