संवाददाता राजन जायसवाल की रिपोर्ट।
ओबरा / सोनभद्र – ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का चलन जितना बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से साइबर क्राइम भी अपने पैर पसार रहा है। डिजिटल लेनदेन ने लोगों को मुश्किलों से छुटकारा दिलाया, लेकिन साथ ही यह साइबर ठगों के लिए सुनहरा मौका भी बन गया है। जब भी लोग सावधानी छोड़ते हैं, ये ठग मौके का फायदा उठा लेते हैं।
ऐसा ही एक मामला कोन थाना क्षेत्र के कस्बे से सामने आया, जिसमें बीसी (बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट) चला रहे अविनाश जायसवाल से बीस हजार रुपये की ठगी हो गई।
फर्जी व्हाट्सएप डीपी से जालसाजी।
कोन थाना क्षेत्र के नरहटी चांचीकला गांव के रहने वाले अविनाश जायसवाल कोन में एक कॉमन सर्विस सेंटर चलाते हैं। उनके पास ग्रामीण लोग छोटे-मोटे लेन-देन का काम करवाने आते हैं। सुबह किसी जालसाज ने कोन के एक परिचित दुकानदार की व्हाट्सएप पर डीपी लगाई और अविनाश के पास मैसेज किया। उस मैसेज में एक क्यूआर कोड भेजकर कहा गया कि तीस हजार रुपये डालने हैं। बीसी अविनाश जो उस दुकानदार को पहले से जानते थे उसने मैसेज पर ही भरोसा कर लिया और बिना किसी टेलीफोनिक पुष्टि के बीस हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। धोखा पकड़ में आया पर देर हो चुकी थी ।
कुछ देर बाद जब दुकानदार के यहां से कोई पैसे लेने नहीं आया, तब अविनाश को शक हुआ। तब वे उस दुकानदार से मिलने पहुंचे और जब इस बारे में पूछा, तो दुकानदार ने पूरी तरह से अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने कोई मैसेज किया और न ही उसे पैसे की कोई जरूरत थी। अविनाश को तब समझ में आया कि वे साइबर फ्रॉड का शिकार हो चुके हैं। जब उन्होंने क्यूआर कोड की स्कैनिंग की, तो उसमें रवि शर्मा नाम का व्यक्ति दिखाई दिया।
साइबर क्राइम में दर्ज कराई शिकायत -जैसे ही ठगी का पता चला, अविनाश ने तुरंत स्थानीय थाने में जाकर साइबर क्राइम में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। हालांकि अब तक ठग का पता नहीं चल सका है, लेकिन पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ट्रांजेक्शन करते समय करे सावधानी ।
बतादें कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय लोगो को पूरी तरह सावधानी बरतनी चाहिए। अनजान नंबर या मैसेज पर भरोसा करना भारी पड़ सकता है। साइबर फ्रॉड के ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और सिर्फ सतर्कता ही इनसे बचाव का एकमात्र तरीका है।