मुंबई मुठभेड़: यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे के शव को दफनाने पर हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला!

मुंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे को दफनाने के लिए एक सुरक्षित स्थान खोजने का निर्देश पुलिस को दिया है। अक्षय शिंदे की पुलिस मुठभेड़ में तीन दिन पहले मौत हो गई थी। उसके पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि बदलापुर के आसपास के कब्रिस्तानों ने शिंदे को दफनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिससे उनके बेटे का अंतिम संस्कार लंबित हो गया था।

बदलापुर यौन उत्पीड़न कांड और शिंदे की मुठभेड़ में मौत

अक्षय शिंदे पर बदलापुर के एक स्कूल में तीन और चार साल की उम्र की दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप था। यह घटना शहर और पूरे क्षेत्र में काफी आक्रोश का कारण बनी थी। यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद शिंदे को गिरफ्तार कर जेल में रखा गया था। हालाँकि, सोमवार की शाम को, जब पुलिस उसे एक जांच के लिए जेल से ले जा रही थी, तब मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने दावा किया कि शिंदे ने भागने की कोशिश की थी, जिसके चलते यह मुठभेड़ हुई।

सुरक्षित दफन स्थान की याचिका

शिंदे के परिवार की ओर से उनके वकील अमित कटरनवारे ने शुक्रवार को मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में यह आग्रह किया गया कि शिंदे को बदलापुर या उसके आसपास के किसी सुरक्षित स्थान पर दफनाने की अनुमति दी जाए। परिवार ने तर्क दिया कि शिंदे का अंतिम संस्कार करने में देरी हो रही है, क्योंकि कोई भी कब्रिस्तान उनके निवास के निकट उसे दफनाने की अनुमति नहीं दे रहा है।

शव को दफनाने का उद्देश्य और न्यायालय की टिप्पणी

अक्षय शिंदे के परिवार के वकील ने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि परिवार, हिंदू धर्म के होने के बावजूद, शिंदे के शव को दफनाना चाहता है। इसका कारण यह बताया गया कि भविष्य में, किसी भी कानूनी या अन्य आवश्यकता के तहत, अगर शव को फिर से निकाला जाना पड़े, तो ऐसा आसानी से संभव हो सके। अभियोजन पक्ष ने इस याचिका पर विरोध दर्ज कराया, यह कहते हुए कि शिंदे के परिवार की परंपरा में शवों को दफनाने का कोई रिवाज नहीं है। इस पर न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति एम.एम. सथाये की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यह निर्णय परिवार का व्यक्तिगत अधिकार है। अदालत ने कहा कि यह माता-पिता का अधिकार है कि वे तय करें कि वे अपने बेटे के शव का दाह संस्कार करना चाहते हैं या उसे दफनाना चाहते हैं। किसी अन्य को इस पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

पुलिस को निर्देश और अगली सुनवाई की तारीख

न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द शिंदे के शव को दफनाने के लिए एक सुरक्षित स्थान की पहचान करें। इसके बाद, उस स्थान की जानकारी शिंदे के परिवार को दी जाएगी ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो सके। वर्तमान में शिंदे का शव एक स्थानीय अस्पताल के शवगृह में रखा हुआ है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 सितंबर 2024 तय की है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।

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