गंगा पार में खाद की बड़ी किल्लत कैसे हो गेहूं व अन्य फसलों की बुवाई

राहुल सिंह राठौर एडवोकेट, न्यूज़लाइन नेटवर्क, अमृतपुर

अमृतपुर/ फर्रुखाबाद। साधन सहकारी समिति खंडोली विकासखंड राजेपुर में खाद लेने की लंबी लाईन लगती है। किसानों को पूरा दिन इंतजार करना पड़ता है। खाद की किल्लत से किसान बेहाल हो गया है।किसान राजवीर भोला सुखराम विजयपाल हरिओम हरी विलास राम तीरथ दीनदयाल परशुराम राजेश उमेश पाल रामदीन राम चरण आदि लोगों ने बताया है कि सुबह 10 बजे से खाद लेने के इंतजार में बैठे है। हर फसल के समय कुदरत का प्रकोप झेलने के बाद किसानों के समक्ष एक नई समस्या आ जाती है। रबी फसल की खेती का समय आते ही स्थानीय बाजार से विभिन्न रासायनिक खाद गायब है। रसायनिक खाद के लिए किसान दर-दर की खाक छान रहे हैं। हालात यह है कि खाद का जिक्र करते ही विक्रेता मुंह फेर लेते हैं।मालूम हो कि राजेपुर विकाश खंड क्षेत्र के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन खेती व पशुपालन है। अभी रबी फसल की बुआई का समय है। किसानों ने मक्का, गेहूं, तेलहन व दलहन फसल की बुआई शुरू कर दी है, लेकिन क्षेत्र के अधिकांश खाद-बीज की दुकानों में खाद नहीं है। विगत कई दिनों से खंड क्षेत्र में खाद की किल्लत बनी हुई है। डीएपी पोटाश व यूरिया के लिए किसान भटक रहे हैं। खाद की किल्लत से किसानों के बीच हाहाकार मचा है। खाद नहीं मिलने से किसान बिना खाद के ही गेहूं व मक्के की खेती करने को विवश हैं। बिना खाद के रबी फसल की बुआई कैसे होगी यह अहम सवाल किसानों के बीच पनप रहा है। गेहूं व मक्के की फसल की अधिक उपज के लिए किसान बुआई के समय व बुआई के बाद डीएपी व यूरिया सहित अन्य खाद का प्रयोग करते हैं। लेकिन खाद उपलब्ध नहीं रहने से किसान काफी परेशान हैं। खाद का उपयोग नहीं करने से रबी फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। क्षेत्र के अधिकांश खाद दुकानों में डीएपी व यूरिया सहित अन्य खाद किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है।खाद-बीज विक्रेताओं का कहना है कि स्टाकिस्ट द्वारा ही काफी कम मात्रा में डीएपी व यूरिया दिया जा रहा है। डीएपी व यूरिया की डिमांड करने पर उसके साथ विभिन्न कंपनियों की बीज व अन्य खाद जबरदस्ती थोपा जा रहा है। नहीं लेने पर स्टाकिस्ट द्वारा खाद की सप्लाई बंद करने की धमकी दी जाती है। इस कारण खाद की समस्या आ खड़ी हुई है। क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने बताया कि डीएपी के बदले एनपीके के साथ जिंक व अन्य बीज भी देने की बात विक्रेताओं द्वारा कही जा रही है। समय पर खाद उपलब्ध नहीं होने से रबी फसल की बुआई पर सीधा असर हो रहा है। किसानों द्वारा खेतों की जुताई की जा चुकी है। लेकिन खाद के अभाव में बुआई नहीं कर पा रहे हैं। किसानों का मानना है कि डीएपी उपलब्ध नहीं होने से खेतों की उर्वरा शक्ति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। विभागीय स्तर से डीएपी के बदले एनपीके का उपयोग करने को कहा जा रहा है। ऐसे में किसान दुविधा में पड़े हुए हैं। लिहाजा रबी फसल की बुआई में दिन प्रति दिन देर होती जा रही है। इस बाबत कृषि अधिकारी ओमप्रकाश यादव ने बताया कि फिलहाल पूरे प्रदेश में डीएपी की कमी है। जिस कारण किसानों को एनपीके का उपयोग करने को कहा जा रहा है। एनपीके से खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। अगर विक्रेताओं द्वारा अनावश्यक रूप से किसान को परेशान किया जाता है तो किसान अपनी समस्या रख सकते हैं। ऐसे विक्रेताओं पर अविलंब सीधे कार्रवाई की जाएगी। किसानों तक खाद पहुंचने की समस्या नई-नही है बल्कि यह समस्या प्रतिवर्ष गेहूं की बुवाई के समय जन्म लेती है और फिर इसका खामियाजा छोटे से लेकर बड़े किसानों तक को भुगतना पड़ता है। मौसम की मार सैलाब का प्रकोप और उसके बाद खाद न मिलने से परेशान किसान लगातार बदहाल होता जा रहा है।

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