इस अक्षय तृतीया बाल विवाह रोकने के लिए मुस्तैद हुई बिहार सरकार गैर सरकारी संगठनों का भी मिला साथ।—————————————-


रिपोर्ट- मोनीश ज़ीशान
न्यूज़लाइन नेटवर्क वैशाली

* महिला एवं बाल विकास निगम ने बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए जिले के अफसरों को दिए निर्देश
* अधिकारियों को जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश।
* बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी संगठन स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान, हाजीपुर, वैशाली ने सरकार की पहल का स्वागत करते हुए कहा इसे सफल बनाने के प्रयासों में संस्था करेगी पूरा सहयोग।

अक्षय तृतीया के मद्देनजर बिहार सरकार ने बाल विवाह को रोकने के उपाय के तहत जिला अधिकारियों के मार्फत जमीनी स्तर के सरकारी अमले को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इस दौरान राज्य के किसी भी गांव या प्रखंड में बाल विवाह नहीं होने पाए। राज्य सरकार की यह पहल जो हर पंचायत को बाल विवाह मुक्त बना सकती है का स्वागत करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संगठन सहयोगी स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान, हाजीपुर, वैशाली के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा कि वह इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में हर संभव सहयोग करेंगे। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2030 तक इस सामाजिक अपराध के खात्मे के लिए पूरे देश में काम कर रहे 161 गैर सरकारी संगठनों का एक गठबंधन है।

राज्य के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों एवं संरक्षण सह निषेध अधिकारियों को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि तात्कालिक कदम के रूप में गांव में जागरूकता अभियान आयोजित होने चाहिए और इस दौरान पंचायत प्रतिनिधियों, सभी धर्म के पुरोहितों और पुलिस अफसर के साथ बड़े पैमाने पर संपर्क करने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। पत्र में सभी जिला अधिकारियों को आम जनता को जागरूक करने के लिए मीडिया के माध्यम से अभियान चलाने के अलावा पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चों को, बिना सूचना दिए स्कूल से नदारद चल रहे बच्चों की विद्यालय वार सूची तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

महिला एवं बाल विकास निगम ने राज्य के सभी मुख्य विवाह पंजीयकों को और ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के विवाह पंजीयकों को अपने क्षेत्राधिकार में पंजीकृत होने वाले विवाहों की संख्या और उसमें दर्ज दुल्हन की उम्र की जांच वह छानबीन के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश भी दिया है। इसमें कहा गया है कि आवेदकों के आयु प्रमाण के दस्तावेजों से संबंधित किसी तरह का संदेह होने पर इसकी सूचना संबंधित बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) को दी जानी चाहिए। अधिसूचना के अनुसार “पंचायतों में, पंचायत सचिव को पहले ही सीएमपीओ नियुक्त किया जा चुका है।”

बाल विवाह रोकने के लिए इस वर्ष बिहार सरकार के कड़े रूख की सराहना करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संयोजक रवि कांत ने कहा “बाल विवाह की चुनौती से निपटने के लिए बिहार सरकार का बहुआयामी दृष्टिकोण सरकार के प्रतिबद्धता और इस मुद्दे पर उसके समझ का परिचायक है। जब राज्य सरकारें इस तरह के कदम उठाएंगे तभी हम बाल विवाह के अपराध को अपने सामाजिक ताने-बाने से शीघ्रता से और प्रभावी तरीके से खत्म करने में कामयाब होंगे। बिहार लगातार इस बुराई के खिलाफ संघर्ष कर रहा है और उसने उल्लेखनीय नतीजे हासिल किए हैं। अक्षय तृतीया के मौके पर जारी यह परिपत्र बाल विवाह मुक्त बिहार के सपने को हकीकत में बदलने में सुनिश्चित करने में सहायक होगा।

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर देश में बाल विवाह के राष्ट्रीय औसत से ज्यादा दर वाले जिलों में बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रहा है। ये सहयोगी गैरसरकारी संगठन बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु की बेस्टसेलर किताब “व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन: टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज़ ” में सुझाई गई रणनीतियों और कार्ययोजना को अंगीकार करते हुए उस पर अमल कर रहे हैं।

इस बीच बाल विवाह के खातमे के लिए बिहार के वैशाली जिले में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं गैर सरकारी संगठन स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने राज्य सरकार की इस पहल को समर्थन दिया है। स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा “अक्षय तृतीया बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील समय है। राज्य सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जो दृढ रुख अपनाया है, उससे हम आश्वस्त हैं कि हम इस राज्य में इस बुराई को उखाड़ फेंकने के अपने लक्ष्य में जल्द ही सफल होंगे। हम इन पहलों का स्वागत करते हैं और इस बुराई को उखाड़ फेंकने के लिए राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। हम इन प्रयासों को पूरी तरह से सहयोग के लिए वचनबद्ध है।”

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एन एफ एच एस 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार देश में 20 से 24 आयु वर्ग की 23.3% लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था जबकि बिहार में यह दर 40.8% है जो राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है।

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