
पढ़ें प्रेम प्रसंग में दिलचस्प और रोचक कविता। कवि विजय कुमार कोसले कि कविता शीर्षक – एक मोहब्बत का दौर
शीर्षक – एक मोहब्बत का दौर
~ एक गांव में हैं नेक लड़का ऐसे,
दिल हैं उनके मोम के जैसे।
~ पढ़ने वालों में था उनका ऊंचा नाम,
नहीं करते कभी वो बदनामी का काम।
~दिल से किया एक लड़की से प्यार,
इज़हार करने में पहले वो गया था हार।
~साथ न जब वह अपनों का पाया,
चिंता जीवन में तब बीमारी बन आया।
~ ईश्वर की कृपा से जब ठीक हो गया,
तन मन से फिर वह प्रेम धून में खो गया।
~ अपने गांव की वो लड़की थी भोली,
ईश्वर भर रहे थे उनके खुशियों से झोली।
~ गांव के विद्यालय में जाती थी पढ़ाने,
माता पिता का सदा जीवन में कहना माने।
~ पढ़ाई के संंग वह किराना स्टोर चलाती,
सभी लोगों को खूब प्रेम संस्कार दिखाती।
~ लड़का उससे मिलने वो भी गया स्कूल,
प्रेम पथ पर आगे बढ़ना था उनका वसूल।
~ प्यार का जब वो उससे इजहार किया,
बिना डरें लड़की से भी तकरार किया।
~ लड़का को वह लड़की खूब समझाया,
क्यों जबरदस्ती मेरी इज्जत मिट्टी में मिलाया।
~ लड़का मिलने हर रोज़ किराना स्टोर जाता ,
बिना जरूरत के खरीद अनेंक सामान लाता।
~ लड़की समझी ये है अभी मन से बीमार,
सह लेते हैं कुछ इनके हम हिन व्यवहार।
~ धीरे धीरे कुछ दिन ऐसे ही गुजरे दौर,
चाह कर उनके प्यार भी रंग नहीं लाया और।
~ एक दिन फिर लड़का प्रेमिका को आजमाया,
जवाब सुनकर मानो दिल ने गहरी ठोकर खाया।
~अरे पागल इंसान ज्यादा सताना छोड़ मुझको,
बस कहने की बात है मारेगा भैया तुझको।
~ लड़का के सब उम्मीदें मानो हो गये नाश,
बचा न हो जैसे जीवन में कुछ उनके पास।
~ आगे और वो न कर सका पढ़ाई,
जब लड़की उसी कालेज में करने गई पढ़ाई।
~ लड़का का जब व्यापारियों से हुआ मेलजोल,
लिया अपने घर में वो भी किराना स्टोर खोल।
~ धीरे धीरे कुछ दिन ऐसे ही गुजरे दौर,
तब लड़का के जीवन में पत्नी बन कोई लड़की आई और।
~ लड़का को जैसी लड़की की थी तालाश,
ठीक वैसे ही सुन्दर थी और गुणों में खास।
~ और समय ने भी खेल कुछ ऐसी खेली,
पत्नी बनी प्रेमिका के स्कूल की अच्छी सहेली।
~ लड़का इस बात से पूरा पहले था अंजान,
दाव लग गये थे उनके इज्जत और सम्मान।
~ लड़का नहीं छुपाए पत्नी से अपने कोई भी राज,
और दोनों ने नयी ज़िन्दगी की किए शुरुआत।
लेखक/ कवि,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, सारंगढ़
छत्तीसगढ़ ।