कविता :: शीर्षक
।। सुबह सुबह ।।
~ लाल लाल सुरज निकलते,
डाल डाल चिड़िया चहकते।
~ कोयल कू कू गीत सुनाते,
फूलों पर भंवरा मंडराते।
~ सुरज किरणें जब फैलाते ,
चंदा तारें सब छिप जाते।
~ कली बाग में फुल बन जाते,
देख सभी के मन को भाते।
~ मंदिर में शंख नाद सुनाते,
भक्त पूजा कर भोग चढ़ाते।
रचयिता ,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, सारंगढ़
छत्तीसगढ़।