💥 कविता:: शीर्षक –
।। बिटिया रानी।।
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~बिटिया जिस घर होती पैदा
फूल आंगन खिल जाती हैं,
यस कीर्ति सुख समृद्धि आशीष
अपने साथ वो लाती हैं।
~जन्म लेते ही लक्ष्मी जिनको
कहकर जहां बुलाती है,
हर माएं बहुत प्यार से जिन्हें
लोरी गा के सुलाती है।
~एक बरस की उम्र में बिटिया
हाथ पकड़ कर चलती है,
आ जाते जब दूजा बरस तो
आंख में चोली करती है।
~छटा बरस की आयु में बिटिया
पढ़ने स्कूल जाती है,
जहां विद्यालय में शिक्षक के
सदा मन हर्षाती है।
~होती बिटिया दस बरस तब,
माएं काम सिखाती है ,
पढ़ने लिखने संग चूल्हा चौका
दोनों धर्म निभाती है।
~अनेंक बिटिया पढ़ लिखकर
अफसर भी बन जाती है,
समाज सेवा में समर्पित जीवन
उनके मन को भाती है।
~एक दिन बिटिया दुल्हन बनकर
घर से विदा हो जाती है,
पति के साथ वह ससुराल में
अपना फर्ज निभाती है।
~संतानों को जहां जन्म देकर
वह भी माएं बन जाती है,
जिनके पालन पोषण में वह
हर एक धर्म निभाती है।
कवि/लेखक/ गीतकार,
विजय कुमार कोसले
नाचनपाली, लेन्ध्रा छोटे
सारंगढ़, छत्तीसगढ़
मो. न.- 6267875476
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