न्यूज़लाइन नेटवर्क सारंगढ़ बिलाईगढ़ ब्यूरो
रिपोर्ट – विजय कुमार कोसले (जिला संवाददाता)
सारंगढ़-बिलाईगढ़ : कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू ने खरीफ सीजन की खेती के लिए कृषि, बीज निगम, सहकारिता और मार्कफेड की बैठक ली। बैठक में कृषि अधिकारी आशुतोष श्रीवास्तव ने बताया कि खेत में बुवाई के लिए किसान के खाद-बीज की व्यवस्था कृषि विभाग द्वारा समय पूर्व खाद बीज का भंडारण सभी सहकारी समितियों में करा दिया गया है। जहां से किसान अपनी आवश्यकता अनुसार ऋण पर खाद और बीज खरीद सकते हैं। किसान समय पूर्व खाद और बीज घरों में ले आते हैं, तो मानसून आते ही बुवाई कार्य प्रारंभ कर सकेंगे। सभी प्रकार के खाद जैसे यूरिया, डीएपी, पोटाश, सुपर फास्फेट, सभी कृषि साख समिति में उपलब्ध है, लेकिन डीएपी एक ऐसी खाद है, जो भारत में नहीं बनती है। इसके लिए अन्य देशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है और आयात सामान्य से कम हुआ है। ऐसी स्थिति में इस खाद की सप्लाई नहीं हो रही है लेकिन डीएपी यदि किसानों को नहीं भी मिलता है तो किसान इसके विकल्प के रुप में संचालनालय अनुसंधान सेवायें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा बताए गए (अनुशंसित) मिक्स खाद 20:20:0:13 का उपयोग कर सकते हैं, जिसकी सप्लाई डीएमओ स्तर से की जानी है। सभी खाद समितियों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कलेक्टर साहू ने सभी समितियों को इस खाद के लिए डिमांड लेटर (मांग पत्र) जारी करने कहा है।
उर्वरक तथा जैव उर्वरकों से बनाया जा सकता है डी.ए.पी. का वैकल्पिक व्यवस्था
मृदा में फास्फोरस तत्व की उपलब्धता हेतु उर्वरक तथा जैव उर्वरकों का प्रयोग करके खाद (उर्वरक) डी.ए.पी. का वैकल्पिक व्यवस्था किया जा सकता है। विकल्प हेतु सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक (16 प्रतिशत फास्फोरस), एक बोरी डी.ए.पी. से मिलने वाले तत्वों की पूर्ति हेतु लगभग आधा बोरी यूरिया तथा तीन बोरी सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग कर सकते हैं। मिश्रित उर्वरक (यथा इफको 12:32:16, ग्रोमोर 28:28:0 तथा अन्य फास्फोरस युक्त मिश्रित उर्वरक) और मृदा में उपस्थित स्फूर की उपलब्धता में वृद्धि करने हेतु स्फूर घुलनकारी जैव उर्वरकों (यथा पी.एस.वी.) का प्रयोग लाभकारी होगा।