अटल परिसर जिला भाजपा कार्यालय में डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस,एक पेड़ मां के नाम अभियान की शुरुआत

न्यूजलाइन नेटवर्क , मुंगेली ब्यूरो

मुंगेली : भारतीय जनता पार्टी ने अटल परिसर जिला भाजपा कार्यालय में डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस विधायक पुन्नूलाल मोहले की उपस्थिति में मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल में वृक्षारोपण किया गया।


सर्वप्रथम डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी एवं भारत माता के छाया चित्र पर कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित किया। विधायक एवं पूर्वमंत्री पुन्नूलाल मोहले ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कर्मक्षेत्र के रूप में 1939 से राजनीति में भाग लिया और आजीवन इसी में लगे रहे। उन्होंने गांधीजी व कांग्रेस की नीति का विरोध किया, जिससे हिन्दुओं को हानि उठानी पड़ी थी।
एक बार आपने कहा- ‘वह दिन दूर नहीं जब गांधीजी की अहिंसावादी नीति के अंधानुसरण के फलस्वरूप समूचा बंगाल पाकिस्तान का अधिकार क्षेत्र बन जाएगा।’ उन्होंने नेहरूजी और गांधीजी की तुष्टिकरण की नीति का सदैव खुलकर विरोध किया। यही कारण था कि उनको संकुचित सांप्रदायिक विचार का द्योतक समझा जाने लगा।

जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेश पाठक ने
डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के जीवन चित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई,1901 को हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे। डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उसी वर्ष आपका विवाह भी सुधादेवी से हुआ। उनको दो पुत्र और दो पुत्रियां हुईं। वे 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने। उनका ध्यान गणित की ओर विशेष था। इसके अध्ययन के लिए वे विदेश गए तथा वहां पर लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी ने उनको सम्मानित सदस्य बनाया। वहां से लौटने के बाद डॉ. मुखर्जी ने वकालत तथा विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत हो गए।

प्रदेश भाजपा कार्यसमिति सदस्य राजेन्द्र वैष्णव ने कहा कि डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता पश्चात बने भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला। डॉ. मुखर्जी ने चितरंजन में रेल इंजन का कारखाना, विशाखापट्टनम में जहाज बनाने का कारखाना एवं बिहार में खाद के कारखाने स्थापित करवाए। सरदार पटेल को मिले उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा। 1950 में भारत की दशा दयनीय थी। इससे डॉ. मुखर्जी के मन को गहरा आघात लगा। उनसे यह देखा न गया और भारत सरकार की अहिंसावादी नीति के फलस्वरूप मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर संसद में विरोधी पक्ष की भूमिका का निर्वाह करने लगे। एक ही देश में दो झंडे और दो निशान भी उनको स्वीकार नहीं थे। अतः कश्मीर का भारत में विलय के लिए डॉ. मुखर्जी ने प्रयत्न प्रारंभ कर दिए। इसके लिए उन्होंने जम्मू की प्रजा परिषद पार्टी के साथ मिलकर आंदोलन छेड़ दिया। आपने 8 मई 1953 को जम्मू के लिए कूच किया। सीमा प्रवेश के बाद उनको जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

40 दिन तक डॉ. मुखर्जी जेल में बंद रहे और 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई। संचालन जिला कार्यालय मंत्री कोटूमल दादवानी ने तथा आभार द्वारिका जायसवाल ने किया। इस अवसर पर रजनी मानिक सोनवानी, सरस्वती सोनी, दीनानाथ केशरवानी, शंकर सिंह ठाकुर, जयप्रकाश मिश्रा,श्रीकांत पाण्डेय, सुनील पाठक,आशुतोष पाण्डेय,राकेश साहू,मुकेश रोहरा,रमेश बुनकर,गणेश बाजपेयी, जयप्रकाश मिश्रा, मनोहर मोहले,राजीव श्रीवास,रामकुमार साहू,लेखु,राजहंस तंबोली,जितेंद्र भास्कर, राजेश्वर टण्डन,घनश्याम यादव आदि कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे।

“एक पेड़ माँ के नाम” करही स्कूल में वृक्षारोपण किया गया

डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी के जन्मोत्सव व एक पेड़ माँ के नाम कार्यक्रम के तहत करही स्थित हाई स्कूल व दाऊपारा के महामाया मंदिर में विधायक पुन्नूलाल मोहले,जिलाध्यक्ष शैलेश पाठक सहित उपस्थित कार्यकर्ताओं एवं स्कूली छात्र- छात्राओं व शिक्षिकाओं ने वृक्षारोपण किया।

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