
रिपोर्ट- ब्यूरो-चीफ-सागर :
एक महिला मरीज ने शिकायत की थी कि उसका बेहतर इलाज नहीं हो रहा है। दरोगा जांच करने पहुंचे। मेडिकल कॉलेज डायरेक्टर बिगड़ गए कि तुम्हारी मुझसे बात करने की हिम्मत कैसे हुई। डायरेक्टर ने इंस्पेक्टर से फोन कर आपत्ति जताई। इंस्पेक्टर से भी फोन पर बहस हो गई।
SP ने कह दिया- डायरेक्टर को पकड़ लाओ। पुलिस फोर्स पकड़ने पहुंच गया। डायरेक्टर और मालिक ने सीधे ‘ऊपर’ फोन लगा दिया। कुछ ही देर में पुलिस फोर्स को लौटना पड़ा। मामला इतना गंभीर कि रात में ही ADG-IG जांच करने पहुंच गए। कुछ देर में ही SP-ASP को जिले से हटा दिया गया। CO-थानेदार-दरोगा भी हट सकते है। ये है व्यवस्था…व्यवस्था नहीं ये व्यथा है।
एक तरफ तो योगी जी कहते हैँ कि कोई मरीज अगर सरकारी हस्पताल या प्राइवेट हॉस्पिटल से वापस गया तो हॉस्पिटल वालों की खैर नहीं,दूसरी तरफ कोई पीड़ित अगर पुलिस के पास आया और पुलिस ने कार्यवाही करनी चाही तो उन पुलिस अधिकारियों को ही सजा दे दी गई??
शायद इस ही लिए कोई अधिकारी या आम आदमी ना सरकार पर भरोसा करता है,ना सिस्टम पर।