कन्नौज :
आज पूरे जिले मे गुरु पूर्णिमा का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया लोगों ने अपने गुरु को दक्षिणा व वस्त्र मिठाई और उपहार देकर अपने गुरु का सम्मान किया।
जिले में आज गुरु पूर्णिमा का त्यौहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया जिसमें भक्तों ने अपने-अपने गुरु पर आस्था रखने वाले शिष्यों ने अपने गुरु को उनके आश्रम में जाकर दक्षिणा वस्त्र फल फूल मालाओं से उनका पूजन नमन बंधन किया। अपने गुरु व माता-पिता का आशीर्वाद लिया और यह सत्य है कि बिना गुरु के हमें ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं गुरु अपने शिष्यों को ज्ञान की प्राप्ति कराते हैं गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। हमें अपने गुरु का सदा सम्मान करना चाहिए और हमें अपने गुरु के वचनों को मानना चाहिए।
कन्नौज में आस्था का केंद्र बना है मां फूलमती माता का मंदिर
कन्नौज नगर में स्थापित माता फूलमती के मंदिर में सुबह से ही नगर के लोगों का अपने संत महात्माओं से आशीर्वाद लेने की भीड़ लग जाती है और यहां पर लोग अपनी अपनी मन्नतें मांगते हैं
गुरु पूर्णिमा पर लगता है अन्नपूर्णा मंदिर पर विशाल मेला
नगर तिर्वा में गुरु पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा माता मंदिर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। कई जिले के भक्ति यहां पर आते है जिसमें खास तौर पर लखीमपुर खीरी झांसी कानपुर उन्नाव लखनऊ ललितपुर मध्य प्रदेश राजस्थान आदि राज्यों से यहां पर भक्तगढ़ अपने वाहनों से रात्रि में ही अपना डेरा जमा लेते हैं। यहा भक्ति माता के दर्शन करने के लिए सुबह 5:00 से ही कतारों में लग जाते हैं। बहुत सारे अनाज गेहूं मक्का बाजरा आदि मिलाकर माता के दरबार में चढ़ाते हैं यहां मंदिर के कपाट अधिक भीड़ होने के कारण रात्रि 2:00 बजे से ही खोल दिए जाते हैं। भक्तों से पूछने पर पता चलता है कि यह जो अनाज हम लोग माता पर चढ़ाते हैं। यहां से मंदिर की मिट्टी भी ले जाते हैं पूछने पर बताया कि यह मिट्टी हम लोग खेतों में डालते हैं। जिससे कि माता अन्नपूर्णा की कृपा से फसल अच्छी पैदा होती है। यहां पंचवटी कहे जाने वाले पांच मंदिर रानी के तालाब में बने हैं। यहां पर राजा प्रीतम सिंह का बनाया हुआ तालाब आज भी मौजूद है। तालाब की यह खासियत है कि यह कभी भी नहीं सूखता है। तालाब के अंदर तीन मंजिल इमारत भी बनी हुई है यहां की खास बात यह है की इस इमारत को कैसे बनाया गया जबकि जानकारी करने पर पता चला कि यह 30 पीढ़ी पुरानी इमारत और मंदिर है इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।